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Thursday, April 25, 2024
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पेंशन बहाली की मांग को लेकर लखनऊ में रैली, लाखों की संख्या में जुटे शिक्षक व कर्मचारी

शिक्षक व कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य मांगे नहीं मानी गईं तो कर्मचारी व शिक्षक चुनाव में सरकार का विरोध करेंगे.

मोहम्मद राशिद | इंडिया टुमारो

लखनऊ | सरकार की नीतियों से न केवल आम जन परेशान है बल्कि कर्मचारी व शिक्षक संघ भी परेशान हैं. पुरानी पेंशन बहाली समेत अन्य मांगों को लेकर कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के बैनर तले लखनऊ के इको गार्डेन में मंगलवार को महारैली का आयोजन किया गया जिसमें लाखों की संख्या में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपद से कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स उपस्थित थे.

इस महारैली की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने की. महारैली में बोलते हुए शिक्षक व कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य मांगे नहीं मानी गईं तो कर्मचारी व शिक्षक चुनाव में सरकार का विरोध करेंगे.

विरोध रैली के आयोजक मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि पूरे प्रदेश का कर्मचारी और शिक्षक आज अपनी पुरानी पेंशन बहाली व अन्य भत्तों की बहाली के लिए आन्दोलन कर रहा है. अब तक बहुत सारे मंच और शिक्षक संघ अलग अलग रूप से अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे थे, लेकिन जब सरकार ने उनको अनदेखा किया तो पूरे प्रदेश के सभी शिक्षक संघों ने मिल कर एक संयुक्त मंच का गठन किया और आज की ये महारैली इसी मंच के बैनर तले हो रही है.

उन्होंने कहा कि, “पूरे प्रदेश के सभी जनपदों से लाखों की संख्या में लोग अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं. हम सब की यही मांग है कि सरकार विधान सभा चुनाव से पूर्व पुरानी पेंशन बहाली समेत सभी मांगों को पूरा करे और यदि मौजूदा सरकार हमारी इन मांगों को पूरा नहीं करती है तो सरकार को इस का नतीजा भुगतना होगा.”

प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव के सम्बन्ध में प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी ने कहा कि लोकतंत्र ने हमें वोट करने का अधिकार दिया है, अतः हमें इस बात का अधिकार है कि हम जिस सरकार से संतुष्ट हैं उस को वोट कर सकते हैं और अगर उस से संतुष्ट नहीं हैं तो उसके विपक्ष में भी वोट कर सकते हैं.

पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर लखनऊ में आयोजित महारैली में शिक्षक व कर्मचारी संघ का हुजूम. (Pic: मोहम्मद राशिद)

उन्होंने कहा कि, “अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कर्मचारियों और शिक्षकों को संतुष्ट करती है या मांगों को अनदेखा करती है. उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठेगा.”

इस महारैली की अध्यक्षता करते हुए मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि, “अब तक कर्मचारी संगठनों की मांगों पर पूर्व की सरकारें समस्याओं का निराकरण करती थी, परंतु यह पहली सरकार है जो कर्मचारियों द्वारा अपने संघर्षों से अर्जित की गई उपलब्धियों को छीन रही है. प्रदेश के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हज़ार करोड़ का भुगतान सरकार ने रोका हुआ है. एक दर्जन से अधिक भत्ते समाप्त कर दिए गए हैं. प्रधानाध्यापकों के लाखों पर सरकार द्वारा समाप्त कर दिए गए और पिछले 5 वर्ष के कार्यकाल में एक भी शिक्षकों को पदोन्नति नहीं दी गई है. शिक्षामित्र व अनुदेशकों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है. आंगनबाड़ियों एवं रसोइयां आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं परंतु फिर भी सरकार संवेदनशून्य बनी हुई है.”

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते शिक्षकों एवं कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली सहित सभी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे और लोकतंत्र का अंतिम अस्त्र भी प्रयोग करने से नहीं चूकेंगे. उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री संजय सिंह ने कहा कि सरकार के पास अपने शिक्षकों एवं कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु यह आखिरी मौका है. सरकार को हमारी मांगों के प्रति गंभीर और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाते हुए सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है.

महारैली में शामिल वक्ताओं ने कहा कि, “यदि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो संगठन राजनैतिक निर्णय लेने में भी कोई हिचक नहीं करेगा.”

मंच के प्रधान महासचिव सुशील त्रिपाठी ने कहा कि, “राज्य कर्मचारियों की अनेक समस्याएं सरकार के सामने समाधान हेतु कई बार प्रस्तुत की गई परंतु सरकार ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया. कर्मचारियों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. आज की महारैली ने यह साबित कर दिया कि प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के अंदर सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है जिसका खामियाजा सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है.”

उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर तिवारी ने कहा कि, “सरकार ने प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का पिछले डेढ़ साल के बढ़े हुए महंगाई भत्ते का भुगतान न करके शिक्षकों एवं कर्मचारियों का भारी नुकसान किया है। तयशुदा कैसलेश इलाज सुविधा को लागू नहीं किया। संविदा कर्मियों से बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लिया जा रहा है। उन्हें सरकार द्वारा नियमित न करके यह प्रदर्शित किया जा रहा है कि सरकार का मानवीय मूल्यों में कोई विश्वास नहीं है.”

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने सरकार पर वार करते हुए कहा कि, “माध्यमिक शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्यरत शिक्षकों को सरकार द्वारा नियमित नहीं किया जा रहा है जिसके कारण उन्हें अल्प वेतन में, जो कि उनके परिवार को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने लायक भी नहीं है, कार्य करना पड़ रहा है जो कि मानवीय मूल्यों के विरुद्ध है.”

महारैली में ध्रुव कुमार त्रिपाठी सदस्य विधान परिषद, सुरेश त्रिपाठी सदस्य विधान परिषद नेता शिक्षक दल, इंजीनियरिंग जी एन सिंह महासचिव उत्तर प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ, प्रेम कुमार सिंह अध्यक्ष यूपी मेडिकल एंड हेल्थ मिनि0 एसोसिएशन, संजय सिंह अध्यक्ष परिवहन कर्मचारी संघ, विष्णु तिवारी पूर्व अध्यक्ष डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ,अधिनाम श्रीवास्तव प्र्रदेश अध्यक्ष उद्यान महासंघ और अन्य संगठनों के पदाधिकारी आदि उपस्थित थे.

साथ ही शिव कुमार शुक्ला अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ, रेनू शुक्ला अध्यक्ष कस्तूरबा गांधी बालिका शिक्षक संघ, ब्रह्म कुमार सिंह अध्यक्ष संयुक्त मोर्चा, दीवान ज़मा साहब महामंत्री उर्दू अरबिया मदरसा शिक्षक संघ, सत्यदेव सिंह प्रदेश अध्यक्ष सेवानिवृत्त पेंशनर्स संघ बेसिक शिक्षा, श्याम बहादुर सिंह स्व वित्त पोषित, इंद्रासन सिंह महामंत्री उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ, अंबा प्रकाश शर्मा महामंत्री अधिनस्थ कृषि सेवा संघ उत्तर प्रदेश, विनोद सिंह अध्यक्ष रजिस्टार कानूनगो संघ आदि ने संबोधित किया.

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