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Thursday, April 25, 2024
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यूपी: प्रयागराज में 4 दलितों की हत्या, मामले में पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

इस हत्याकांड में आरोपियों को बचाने के लिए राज्य के सत्ता समीकरण को भी समझना बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश में जिस जाति का मुख्यमंत्री होता है, उस जाति से जुड़े हुए लोग खुलेआम दबंगई करते हैं और अपराध करते हैं। पुलिस इनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। क्योंकि सत्ता में बैठे हुए मुख्यमंत्री और उसकी जाति बिरादरी के राजनेताओं द्वारा अपने लोगों को संरक्षण दिया जाता है। यह संरक्षण सत्ता पर कभी- कभी बहुत भारी पड़ जाता है, लेकिन सत्ता में बैठे हुए लोग इसका आंकलन अपने नफा-नुकसान को देखकर करते हैं।

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 4 दलितों की हत्या से योगी सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है। इन हत्याओं से पुलिस की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है। हत्या आरोपियों को योगी सरकार का संरक्षण प्राप्त है और इनको बचाने के लिए एक अन्य को फंसाने के लिए पुलिस जुटी हुई है।

यूपी के प्रयागराज में फाफामऊ क्षेत्र के गांव मोहनगंज फुलवरिया गोहरी में बीते 25 नवम्बर को पासी जाति के एक दलित परिवार के फूलचंद (50 वर्ष), पत्नी मीना देवी (45 वर्ष), पुत्री सपना (17 वर्ष) और पुत्र शिव (12 वर्ष) की हत्या कर दी गई थी। फूलचंद पेंटर एवं मज़दूरी का काम करके अपना परिवार चलाता था। बताया जाता है कि फूलचंद का अपने ही गांव के ठाकुर बिरादरी के लोगों के साथ रास्ते की एक ज़मीन को लेकर विवाद था। ठाकुर बिरादरी के सरहंग एवं दबंग लोगों द्वारा 2018 में फूलचंद व उसके परिवार के लोगों के साथ इसी ज़मीनी विवाद को लेकर मारपीट की गई थी।

इस मामले में फूलचंद की ओर से इन दबंगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी और मामले में हरिजन एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया था। तभी से इन सरहंगों से फूलचंद का विवाद चल रहा था। इन सरहंगों की ओर से फूलचंद पर मुकदमा वापस लेने का लगातार दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन वह मुकदमा वापस लेने को तैयार नहीं था। सितंबर 2019 में भीं इन दबंगों ने फूलचंद और उसके परिवार के साथ मारपीट किया था।

इस मामले की एफआईआर सोरांव थाने में दर्ज कराई गई थी। लेकिन एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्यवाई नहीं किया। 2021 में सितंबर माह में 21 सितंबर को सरहंगों ने फूलचंद के घर में रात में घुसकर मारपीट की और खूब तांडव मचाया एवं उसके घर का सामान तहस-नहस कर दिया। उसने इस मामले की सूचना 100 नंबर पर पुलिस को दिया, सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन तब तक हमलावर भाग गए।

इस पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए फूलचंद ने फाफामऊ थाने पर तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया। इस पर फूलचंद ने एसएसपी प्रयागराज के ऑफिस में संपर्क किया, तब कहीं जाकर उसकी एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन एक घण्टे के अंदर ही पुलिस ने फूलचंद के विरोधियों से तहरीर लेकर फूलचंद के खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दिया। पुलिस ने क्रॉस एफआईआर में मारपीट करने, धमकी देने और छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कर दिया।

इस मामले में फूलचंद और उसके परिवार को न्याय नहीं मिला। लेकिन 25 नवम्बर को फूलचंद और उसके समूचे परिवार की हत्या कर दी गई। हत्या होने का मामला पता चलने के बाद जब शव बरामद हुए, तो फूलचंद की 17 वर्षीय नाबालिग लड़की सपना के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं पाया गया। शव की परिस्थितियों को देखकर यह पता चलता था कि उसके साथ पहले दुष्कर्म किया गया और बाद में उसकी हत्या की गई।

फाफामऊ पुलिस की इस मामले में भूमिका संदिग्ध है। अगर समय रहते उसने इस मामले में कार्यवाई की होती, तो शायद यह घटना न घटित होती। बताया जाता है कि फाफामऊ थाने की पुलिस द्वारा फूलचंद को बराबर अपने विरोधियों के ऊपर से इस मामले को वापस लेने के लिए धमकाया जाता था। चर्चा तो यहां तक है कि फाफामऊ पुलिस का सिपाही सुशील सिंह दबंगों के घर आता-जाता था और वह फूलचंद और उसके परिवार को अपने विरोधियों के ऊपर से मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाता था।

फाफामऊ पुलिस की संदिग्ध भूमिका का खुलासा, तो फूलचंद के खिलाफ एक घण्टे के अंदर विरोधियों की ओर से क्रॉस एफआईआर दर्ज करने से ही हो जाता है। जो पुलिस फूलचंद की तहरीर पर उसके विरोधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी वही पुलिस फूलचंद के विरोधियों के इशारे पर एक घण्टे के अंदर ही उसके खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज कर देती है। फाफामऊ पुलिस की यह कार्यवाही यह दर्शाती है कि पुलिस की भूमिका निष्पक्ष नहीं है और उसकी भूमिका संदिग्ध है।

अब दिखाने के लिए फाफामऊ थाने के पुलिस इंस्पेक्टर राम केवल पटेल और सिपाही सुशील सिंह को निलंबित कर दिया गया है।11लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आकाश सिंह, बबलू , अमित सिंह, रवि, मनीष, अभय, राजा, कुलदीप, कान्हा ठाकुर, अशोक और रचू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अगर फाफामऊ की पुलिस ने इस मामले पर समय रहते कार्यवाई की होती तो यह हत्याकांड नहीं होता।

प्रयागराज के इस हत्याकांड में अब पुलिस केवल लीपापोती कर रही है। पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए एक नई कहानी तैयार कर ली है। पुलिस ने पवन सरोज नाम के एक शख्स को इस हत्याकांड का आरोपी बनाया है और उसे गिरफ्तार कर लिया है। इस नई कहानी के मुताबिक मृतक नाबालिग लड़की से पवन सरोज एकतरफा प्यार करता था और वह मृतक लड़की को मोबाईल पर मैसेज भेजता था। प्रयागराज की पुलिस इस थ्योरी को लेकर सामने आई है।

पुलिस के मुताबिक मृतक लड़की ने पवन सरोज को मैसेज के जवाब में एक मैसेज भेजा था, जिसमें उसने प्रेम के प्रस्ताव को ठुकराया था। पुलिस की थ्योरी के अनुसार उसने एक मोबाईल बरामद किया है, जिसमें इस तरह का मैसेज है। इस मैसेज के मिलने से पवन सरोज ने अपने को अपमानित महसूस किया और इतना बड़ा कांड कर दिया। लेकिन पुलिस की यह थ्योरी उसे ही कटघरे में खड़ा करती है।

बताया जाता है कि जिस पवन सरोज को इस हत्याकांड का आरोपी बनाया गया है, वह मज़दूरी करने वाला एक अनपढ़ युवक है। पुलिस की इस थ्योरी को झूठा साबित करने के लिए इन सवालों को समझना होगा। पवन सरोज अनपढ़ है, अनपढ़ क्या लिख और पढ़ सकता है ? अनपढ़ जो लिखना और पढ़ना नहीं जानता है, वह हिंदी तो दूर अंग्रेजी में लिखे मैसेज-आई हेट यू को पढ़ लिया और गुस्से में हत्याकांड कर दिया ? यह सवाल पुलिस के सफेद झूठ को बेनकाब करते हैं। पुलिस इस मामले की लीपापोती कर रही है।

प्रयागराज के इन चार दलितों की हत्या के इस मामले पर पर्दा डालने के लिए पुलिस जी-जान से जुटी हुई है। पुलिस इस हत्याकांड में आरोपित ठाकुर जाति से सम्बन्ध रखने वाले आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है। इसीलिए उसने हत्याकांड की नई कहानी गढ़कर नई थ्योरी पेश की है और एक अनपढ़ युवक के ऊपर हत्याकांड करने का सारा आरोप लगा दिया है। हत्याकांड में मृतकों के परिजनों का साफ तैर पर कहना है कि यह हत्याएं अरोपी दबंग ठाकुरों ने की हैं। लेकिन पुलिस अपनी थ्योरी पर काम करते हुए आरोपियों को बचाने के लिए जुटी हुई है।

इस हत्याकांड में आरोपियों को बचाने के लिए राज्य के सत्ता समीकरण को भी समझना बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश में जिस जाति का मुख्यमंत्री होता है, उस जाति से जुड़े हुए लोग खुलेआम दबंगई करते हैं और अपराध करते हैं। पुलिस इनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। क्योंकि सत्ता में बैठे हुए मुख्यमंत्री और उसकी जाति बिरादरी के राजनेताओं द्वारा अपने लोगों को संरक्षण दिया जाता है। यह संरक्षण सत्ता पर कभी- कभी बहुत भारी पड़ जाता है, लेकिन सत्ता में बैठे हुए लोग इसका आंकलन अपने नफा-नुकसान को देखकर करते हैं।

पूर्व समय में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए इनकी बिरादरी यादव के लोग भी दबंगई करते थे और अपराध करते थे, तो यह भी अपनों को और अपनी जाति को संरक्षण देते थे। घटनाओं के घटित होने पर इनकी खूब फजीहत होती थी और इनके ऊपर भी जातिवादी होने और अपराध को बढ़ावा देने के आरोप लगते थे। कुछ इसी तरह आज यूपी में हो रहा है। योगी आदित्यनाथ के ऊपर तो खुलेआम जातिवाद को बढ़ावा देने और जातिवादी होने के आरोप लगते हैं।

योगी आदित्यनाथ के ऊपर ठाकुर बिरादरी को संरक्षण देने का आरोप लगता है। इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी है। आज यूपी के सभी प्रमुख पदों पर ठाकुर बिरादरी के अफसर बैठे हुए हैं। राज्य में प्रत्येक जिले में डीएम, एसपी, और सीडीओ के प्रमुख पदों पर एक ठाकुर बिरादरी का अफसर ज़रूर तैनात है। प्रशासनिक मशीनरी को भी जातिवादी रोग योगी आदित्यनाथ ने लगा दिया है। यही कारण है कि आज यूपी में ठाकुर बिरादरी के लोगों द्वारा दबंगई दिखाई जाती है और अपराध किया जाता है, लेकिन उनका कुछ नहीं बिगड़ता है। इसी से ठाकुर बिरादरी के लोगों द्वारा गुंडागर्दी की जाती है और अपराध किया जाता है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

ऐसे मामलों को रफा -दफा कर दिया जाता है। उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर का मामला, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद का मामला और हाथरस की बेटी का मामला इसका उदाहरण है। योगी आदित्यनाथ की सरकार में ठाकुर बिरादरी को छोड़कर सभी जातियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। यूपी में सभी जातियों में माफिया डॉन हैं। सभी जातियों के माफिया डॉन के इनकाउंटर किए गए हैं, लेकिन कोई ठाकुर बिरादरी के माफिया डॉन का इनकाउंटर नहीं किया गया है। यह एक ऐसी कड़वी सच्चाई है कि योगी आदित्यनाथ इसका जवाब नहीं दे सकते हैं।

प्रयागराज में दलितों की हत्याओं में सीधे-सीधे ठाकुर बिरादरी के दबंगों का हाथ है, लेकिन इनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। इन्हें बचाने के लिए नई कहानी गढ़कर “अनपढ़” पवन सरोज को गिरफ्तार कर दलितों की हत्या का आरोपी बना दिया गया है। इस घटना में मृतकों के परिजनों को ढांढस बंधाने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी प्रयागराज गईं थीं और मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर उनके साथ खड़े होने की बात की थी।

प्रयागराज के आईजी राकेश सिंह और डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी इस मामले को लेकर आरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन पुलिस के हाथ चार आरोपी लगे हैं। पवन सरोज को हत्याकांड का आरोपी बनाकर पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे में पुलिस इन पकड़े गए आरोपियों को किस मामले में अपराधी बनाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन जिस प्रकार पवन सरोज को हत्याकांड का आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया है, उससे लगता है कि इस हत्याकांड को पुलिस रफा दफा कर खत्म करना चाहती है।

प्रयागराज के इस हत्याकांड से योगी आदित्यनाथ सरकार के कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है। योगी आदित्यनाथ चाहे जितना दावा करें, लेकिन यूपी में कानून व्यवस्था बहुत ही बदतर है। कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता है, जब यूपी में हत्या, लूटपाट, बलात्कार की घटना न घटित होती हो। लेकिन योगी आदित्यनाथ अपने सरकार की और क़ानून व्यवस्था की तारीफें करते नहीं थकते हैं।

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