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Friday, March 29, 2024
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यूपी की राजनीति में किंग मेकर की भूमिका में जयंत चौधरी, BJP सहित सभी पार्टियाँ संपर्क में

राष्ट्रीय लोक दल का मुख्य राजनीतिक आधार जाट और मुस्लिम वोटर हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जाट वोटर भाजपा के साथ चले गए थे, इसलिए राष्ट्रीय लोक दल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन किसानों के आंदोलन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थिति बदल गई है और जाट एवं मुस्लिम समुदाय के वोटर राष्ट्रीय लोक दल के साथ खड़े हो गए हैं, इससे राष्ट्रीय लोक दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत होकर खड़ा हो गया है।

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो


लखनऊ । यूपी की राजनीति में राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी किंग मेकर के रूप में उभर कर सामने आए हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा से लेकर कांग्रेस और सपा तक राष्ट्रीय लोक दल से चुनावी तालमेल करना चाहते हैं, लेकिन राष्ट्रीय लोक दल ने अभी तक अपने तुरुप के पत्ते नहीं खोले हैं।

राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी की यूपी में राजनीतिक अहमियत बढ़ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण यूपी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों का बदलाव आना है।2017 के विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगे के कारण हुए धुर्वीकरण के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में परिस्थितियों में काफी बदलाव हो गया था, जिसके कारण राष्ट्रीय लोकदल के परंपरागत वोटर जाट -मुस्लिम में बिखराव हो गया था।

इसीके साथ गूजर वोटरों ने भी राष्ट्रीय लोक दल का साथ छोंड़ दिया था। इसका परिणाम यह हुआ था कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में भारी विजय प्राप्त हुई थी। पश्चिमी उत्तर में अधिकांश विधानसभा सीटों पर भाजपा उम्मीदवार विजयी हुए थे और यूपी में भाजपा की सरकार बन गई थी। लेकिन अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश की परिस्थितियों में काफी बदलाव हो गया है और यहां पर हवा भाजपा के खिलाफ बह रही है।

यहां की परिस्थितियों में बदलाव तीन काले कृषि कानून के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन से आया है। इस किसान आंदोलन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच पैदा हुई दूरी खत्म हो गई है और इन्होंने किसान आंदोलन में बढ़ – चढ़कर हिस्सा लेते हुए एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है, जिसके कारण किसान आंदोलन सफल हुआ है। जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच पैदा हुई खाईं और दूरी मिट गई है। इनके साथ आ जाने से पश्चिमी उत्तर में राजनीतिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आ गया है।

राष्ट्रीय लोक दल का मुख्य राजनीतिक आधार जाट और मुस्लिम वोटर हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जाट वोटर भाजपा के साथ चले गए थे, इसलिए राष्ट्रीय लोक दल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन किसानों के आंदोलन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थिति बदल गई है और जाट एवं मुस्लिम समुदाय के वोटर राष्ट्रीय लोक दल के साथ खड़े हो गए हैं, इससे राष्ट्रीय लोक दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत होकर खड़ा हो गया है।

राष्ट्रीय लोक दल और जयंत चौधरी के साथ किसान नेता राकेश टिकैत और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान खड़े हैं। इनके साथ ही साथ गूजर वोटर भी आ गए हैं, इन सभी परिस्थितियों के कारण आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी किंग मेकर के रूप में उभर कर सामने आए हैं। आज की राजनीतिक परिस्थितियों में बगैर राष्ट्रीय लोक दल के सहयोग के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल को सफलता प्राप्त करना बड़ी ही टेढ़ी खीर है।

राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी यूं ही किंग मेकर बनकर नहीं उभरे हैं बल्कि उन्होंने किसान आंदोलन में किसानों का साथ दिया है। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान राष्ट्रीय लोक दल के साथ खड़ा है। आज के मौजूदा समय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ हवा चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों में भाजपा के प्रति नाराज़गी कम नहीं हुई है।

भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत जल्द किसानों को मनाने के लिए इस इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रैलियों को कराने का रोडमैप तैयार किया है। बहुत जल्द इस इलाके में इन नेताओं की रैलियां होंगी और भाजपा इनके जरिए वोटरों को लुभाने का काम करेगी। भाजपा यूपी की सत्ता को फिर से पाना चाहती, क्योंकि उसका मानना है कि बगैर यूपी की सत्ता के केंद्र की सत्ता नहीं मिल सकती है। इसीलिए भाजपा हर हालत में यूपी का किला फतेह करना चाहती है।

भाजपा ने यूपी को जीतने के लिए अपनी रणनीति के अनुसार इसको तीन भागों में बांट दिया है। इन तीनों भागों की जिम्मेदारी अलग -अलग राजनेताओं को सौंपी गई है। चूंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश फतेह करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी भाजपा के चाणक्य गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी गई है। अमित शाह के पास सीबीआई, ईडी,और पुलिस है, वह इनके जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीति में तोड़फोड़ से लेकर दबाव बनाकर अपने साथ राजनेताओं को लाने का काम निश्चित तौर पर करेंगे, जो आगे चलकर देखने को मिलेगा।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल से चुनावी तालमेल करना चाहती है। वह यह मानकर चल रही है कि अगर जयंत चौधरी से चुनावी तालमेल हो जाए, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को चुनावी लाभ मिल सकता है और वह काफी विधानसभा सीटें जीत सकती है। भाजपा ने जयंत चौधरी से संपर्क किया है और उन्हें तालमेल करने का प्रस्ताव भेजा है। भाजपा ने जयंत चौधरी को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री, 1 राज्यसभा और दो विधान परिषद सीट तथा विधानसभा चुनाव में 50 सीटों को चुनावी तालमेल के तहत देने का प्रस्ताव दिया है।

भाजपा के प्रस्ताव पर जयंत चौधरी ने अभी चुप्पी साध रखी है। अमित शाह की राजनीति के आगे वे कितना टिक पाएंगे, यह कहना बड़ा मुश्किल है। अपने पिता चौधरी अजित सिंह की तरह अगर राजनीति करेंगे, तो वह कहेंगे कुछ और करेंगे कुछ और। उनके पिता चौधरी अजित सिंह राजनीति में तालमेल बिठाने की बात किसी और के साथ करते थे और वे चले दूसरे के साथ जाते थे। अगर जयंत चौधरी अपने पिता के रास्ते पर जाते हैं, तो वह किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनावी समझौता कर सकते हैं।

भाजपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्र को संभालने की जिम्मेदारी जेपी नड्डा को दी है। इसीके साथ कानपुर और बुंदेलखंड की जिम्मेवारी भी जेपी नड्डा को दी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अब चुनावी जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजनाथ सिंह को बनारस और उसके आसपास एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। राजनाथ सिंह बनारस से जुड़े हुए जिले चंदौली के निवासी हैं। चंदौली पहले बनारस का ही हिस्सा था। राजनाथ सिंह को अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरह से कैद करके रखा हुआ था। अब चुनावी नैय्या डूबती देख उन्हें भी चुनावी मैदान में उतारा गया है। यह भाजपा को कितनी सफलता दिला सकते हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल के साथ कांग्रेस भी तालमेल करना चाहती है। प्रियंका गांधी जयंत चौधरी के संपर्क में हैं। जयंत चौधरी को कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ने उनको राज्यसभा सांसद बनाने और मनमुताबिक सीटों पर समझौता करने का प्रस्ताव दिया है। जयंत चौधरी ने प्रियंका गांधी के प्रस्ताव पर भी अभी चुप्पी साध रखी है।कांग्रेस जयंत चौधरी के साथ चुनावी तालमेल करके पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई ज़मीन को वापस पाने का प्रयास कर रही है।

कुछ दिनों पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के साथ राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी की मुलाक़ात की तस्वीर

कांग्रेस का मुख्य ध्यान 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। विधानसभा चुनाव में उसे जीत मिले या हार, कांग्रेस को इसकी चिंता नहीं है। कांग्रेस खुद को खड़ा करने का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस खत्म हो गई थी, लेकिन प्रियंका गांधी ने संघर्ष करके उसे संघर्ष वाली कांग्रेस के रूप में खड़ा कर दिया है और कार्यकर्ताओं में जोश एवं जुनून पैदा कर दिया है। कांग्रेस का यह संघर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगा। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के दर्जनों सांसद चुने जाते रहे हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर सपा विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है। जयंत चौधरी चुनावी तालमेल में सपा से 50-60 विधानसभा सीटें चुनाव लड़ने के लिए मांग रहे हैं। इसके साथ ही वह डिप्टी सीएम का एक पद भी मांग रहे हैं। अखिलेश यादव जयंत चौधरी को 32 विधानसभा सीटें दे रहे हैं और राष्ट्रीय लोक दल के चुनाव चिन्ह पर 3 सपा के लोगों को चुनाव लड़ाने की बात कह रहे हैं। डिप्टी सीएम का पद भी दे रहे हैं। लेकिन सीटों को लेकर मामला उलझा हुआ है। अगर सीटों पर मामला नहीं सुलझा, तो जयंत चौधरी सपा से तालमेल नहीं करेंगे।

सपा और राष्ट्रीय लोक दल के तालमेल नहीं होने से सपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी राष्ट्रीय लोक दल और बसपा को एक साथ लाना चाहती हैं। वह यह मानकर चल रही हैं कि अगर उनका यह गठबंधन हो जाए, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के साथ पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर बदल जाएगी।

आज मुस्लिम वोटर उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के साथ-साथ जिताऊ दलों और उनके उम्मीदवारों के साथ जाने की सोच रहा है। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल, कांग्रेस, बसपा और चंद्रशेखर रावण की अपना समाज पार्टी एक साथ मिलकर लड़ती हैं, तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारी उथल पुथल हो सकता है। लेकिन इस सबके बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल जिसके भी साथ जाएगा, वही गठबंधन इस बार यूपी की सत्ता को पाएगा।

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