इशफाक उल हसन
श्रीनगर | कश्मीर के हैदरपोरा में एक मुठभेड़ के दौरान मारे गए दो नागरिकों में से एक डॉ. मुदासिर गुल भी थे. डॉ. मुदासिर गुल के शव की मांग के लिए दिए जा रहे धरने के दौरान उनकी दो साल की बेटी जब अपने पिता को याद करते हुए ‘बाबा…बाबा’ चिल्लाने लगी तो वहाँ मौजूद हर शख़्स की आंखें नम हो गई.
अपनी मां हुमैरा गुल के साथ यह छोटी बच्ची भी अपने अपने पिता डॉ. मुदासिर के शव की मांग करने वालों में शामिल थी.
हैदरपोरा एनकाउंटर में डेंटल सर्जन डॉ. मुदासिर गुल भी मारे गए थे. डॉ. मुदासिर के साथ कश्मीर के शीर्ष कारोबारी मोहम्मद अल्ताफ भट भी मारे गए.
पति के शव की मांग को लेकर डॉ गुल की पत्नी हुमैरा ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ प्रेस कॉलोनी में धरना दिया. वो कहती हैं कि, “मेरे पति का किसी भी उग्रवादी से कोई संबंध नहीं था और वह वैध तरीके से अपनी आजीविका कमा रहे थे.”
मृतक डॉक्टर गुल की यह दो साल की बच्ची कश्मीर में धरना देने वाली सबसे कम उम्र की प्रदर्शनकारी बन गई है. हुमैरा कहती हैं कि, “वह कल से अपने पिता को ढूंढते हुए रो रही है. वह रोती है और बार बार बाबा, बाबा चिल्लाती है, और मेरे पास कोई जवाब नहीं होता है. मैं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से आग्रह करती हूं कि मेरी बेटी को उसके पिता को आखिरी बार देखने की इजाज़त दें.”
हुमैरा ने कहा कि पुलिस को उनके पति के ओजीडब्ल्यू (उग्रवादियों से सम्बन्ध रखना वाला) होने का सबूत देना चाहिए. उन्होंने कहा, “अगर मेरे पति को ओजीडब्ल्यू (ओवरग्राउंड वर्कर) साबित किया जाता है तो पुलिस मुझे भी मार सकती है. मेरे पति ओजीडब्ल्यू नहीं बल्कि पेशे से डॉक्टर थे. वह लीगल तरीके से अपनी आजीविका कमा रहे थे, यहां तक कि हाल ही में रावलपोरा में एक शादी समारोह में पुलिस अधिकारियों और प्रशासन के अधिकारियों ने मुदासिर के साथ लंच भी किया था. पुलिस कैसे उनपर OGW का लेबल लगा सकती है.”
डॉक्टर मुदासिर के परिवार से कुछ ही किलोमीटर दूर कश्मीर के एक और नामी व्यक्ति का परिवार उन के निधन पर शोक मना रहा है. मोहम्मद अल्ताफ भट एक व्यवसायी थे, हैदरपोरा में उनकी एक बहुमंज़िला इमारत भी थी, जहां आतंकवादी मारे गए.
भट की भतीजी साइमा भट कहती हैं कि, “मेरे चाचा की हत्या की गई है. एक पूर्वनियोजित मुठभेड़ में उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया. वह एक हार्डवेयर की दुकान चलाते थे और उस इमारत के मालिक थे जहां सुरक्षा बल जांच के लिए आए थे.”
साइमा ने कहा कि उस इमारत परिसर में कोई गोलीबारी नहीं हुई थी. “उन्हें तलाशी के लिए मानव ढाल के रूप में इमारत के अंदर तीन बार ले जाया गया और जब उन्हें कुछ नहीं मिला, तो चाचा को वहीं मार दिया गया.”
साइमा कहती हैं कि, “पुलिस उनके चाचा को ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) या “आतंकवादी सहयोगी” बता रही है और उनका शव वापस नहीं कर रही है.”
पुलिस के बताया कि कानून-व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मारे गए आतंकवादियों, उनके सहयोगियों और भवन मालिकों के शवों को मेडिको लीगल औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हंदवाड़ा भेज दिया गया है.
एक पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि, “पुलिस ने कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की जांच शुरू कर दी गई है.”
सभी ओर से दबाव पड़ने के बाद मुठभेड़ की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया गया है. मुठभेड़ के बाद से पूरे कश्मीर में रोष व्याप्त है. सोशल मीडिया पर मुठभेड़ में मारे गए नागरिकों के गमगीन परिवारों की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं.
विरोध कर रहे परिवारों के सदस्य जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा राजनीति के बड़े नेताओं तक भी पहुंचे, खासकर पूर्व मुख्यमंत्रियों-उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मृतकों के परिवारजनो ने ट्वीट से आगे बढ़ने की अपील की और विरोध में मृतकों के परिवारों के साथ शामिल होने के लिए कहा.
मृतक व्यवसायी भट के भाई डॉ. हनीफ अहमद कहते हैं कि, “हम मारे गए हमारे भाई अल्ताफ अहमद के शव को बिना किसी देरी के पाने के लिए विरोध कर रहे हैं. अगर पुलिस हमें उसका शव वापस नहीं देती है, तो हम सभी सड़कों को बंद कर देंगे और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.”