लखनऊ | उत्तर प्रदेश की विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र सोमवार को शुरू हुआ. साथ ही विधान भवन में सदन के विशेष सत्र की कार्यवाही प्रारंभ होने से पहले ही विरोध प्रदर्शन होने लगा. समाजवादी पार्टी के नेता सड़क पर और कांग्रेस के नेता विधान भवन प्रांगण में विरोध प्रदर्शन किया.
सोमवार को एक दिवसीय विशेष सत्र से पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस विधायकों ने सुबह महंगाई और किसानों के मुद्दे पर धरना प्रदर्शन किया.
विपक्षी पार्टियों ने अलग-अलग मुद्दे पर प्रदर्शन किया. सपा का विरोध महंगाई को लेकर है, जबकि कांग्रेस लखीमपुर खीरी की हिंसा को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग पर अड़ी है.
विधानसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव तथा कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए एक दिन का विशेष सत्र आयोजित किया गया है.
विधानसभा का एक दिवसीय सत्र शुरू होने से पहले सपा नेताओं ने सड़क पर और कांग्रेस के नेताओं ने विधानभवन प्रांगण में विरोध प्रदर्शन किया.
सपा के विधायक और नेता महंगाई के खिलाफ पोस्टर और बैनर लिये थे और सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे,वहीं कुछ नेताओं ने मंहगाई के विरोध में काले गुब्बारे भी उड़ाये.
समाजवादी पार्टी ने कहा है कि इस विशेष सत्र का कोई औचित्य नहीं है. सदन के अंदर लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन इसको सरकार ने चर्चा के बिंदु में शामिल नहीं किया है.
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पत्रकारों से कहा, “भाजपा सरकार मंहगाई को नहीं मानती, इस मामले पर सरकार चर्चा नहीं कर रही है, किसान परेशान हैं, आम आदमी परेशान है लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है.”
उन्होंने कहा, “लखीमपुर खीरी मामले पर सरकार चर्चा नहीं कर रही है । कांग्रेस पार्टी किसानों और लखीमपुर खीरी मामले पर चर्चा चाहती है, लेकिन सरकार खामोश है.”
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले उपाध्यक्ष के पद का चुनाव केवल लोगों को गुमराह करने और लखीमपुर खीरी की घटना से ध्यान हटाने का प्रयास है.
उन्होंने कहा कि जब तक लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा.
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि सत्ताधारी दल भाजपा उपाध्यक्ष का चुनाव संसदीय परंपराओं को दरकिनार कर करा रही है।
आराधना मिश्रा ने कहा कि उपाध्यक्ष के चुनाव और विधानसभा का सत्र बुलाए जाने के बारे में विपक्ष से कोई मशविरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि सरकार लखीमपुर की घटना पर सदन में चर्चा कराती.