इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं ने पड़ोसी बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान मंदिरों में की गई तोड़फोड़ की कड़ी निंदा की है. इस घटना के कारण बांग्लादेश सरकार को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए 22 जिलों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा.
बांग्लादेश में हुई हिंसा की निंदा करते हुए जमाअत इस्लामी हिंद के मीडिया सचिव सैयद तनवीर अहमद ने कहा कि, “अराजकता लोकतंत्र को कमज़ोर करती है. किसी भी लोकतंत्र और इस्लामी कानून दोनों के अनुसार धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की अनुमति नहीं है.”
उन्होंने आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश की सरकार अपने देश के नाज़ुक हालात को देखते हुए इस मुद्दे का तत्काल समाधान करेगी और अल्पसंख्यक समुदाय और उनके पूजा स्थलों की रक्षा करेगी.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ज़फरुल इस्लाम खान ने कहा कि मंदिरों पर हुए हमलों को किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता, कल बांग्लादेश में जो हुआ वो इस्लामी विचारों के अनुसार भी उचित नहीं है.
डॉ. खान जो एक इस्लामिक विद्वान भी हैं, उनका कहना है कि शरिया द्वारा शासित राज्य में रहने वाले गैर-मुसलमानों को पूजा करने की स्वतंत्रता है और वे राज्य द्वारा जीवन और संपत्ति की रक्षा के हकदार हैं.
डॉ. खान ने दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान बांग्लादेश में विभिन्न स्थानों पर मंदिरों में की गई तोड़फोड़ और अल्पसंख्यकों और उनकी संपत्ति पर हुए हमलों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त सज़ा की मांग की है.
डॉ खान ने कहा कि, “यूनाइटेड नेशंस के यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स चार्टर और मानवाधिकारों से संबंधित सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार भी राज्य का कर्तव्य है कि बिना किसी धार्मिक भेदभाव के वे अपने नागरिकों की रक्षा करें”
उन्होंने बांग्लादेश सरकार से यह मांग की कि गैर-मुसलमान स्वतंत्र रूप से और शांति से अपने धर्म का पालन कर सकें, सरकार इसे सुनिश्चित करें.
डॉ. खान ने कहा कि पैगंबर ने अपने अंतिम वक्तव्य में अपने साथियों से कहा था कि, “अपने राज्य में गैर-मुसलमानों की रक्षा करना” एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि मरने के बाद फैसले के आखिरी दिन पैगंबर उन मुसलमानों के विरोध में खड़े होंगे जिन्होंने गैर-मुसलमानों को नुकसान पहुंचाया.
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत (एआईएमएमएम) के अध्यक्ष नावेद हामिद ने हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि, “सीमा के दोनों ओर के कट्टरपंथी शांति और सद्भाव को बिगाड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि, “बांग्लादेश या अन्य किसी भी देश में गैर-मुसलमानों को बिना किसी डर के अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानने और उनका अनुसरण करने का पूरा अधिकार है.”
उन्होंने उपद्रवियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और दुर्गा पूजा पंडालों और मंदिरों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की कार्रवाई की सराहना की.
गुजरात के व्यवसायी ज़फर सरेशवाला ने मांग करते हुए कहा कि, “बांग्लादेश में सरकार को दुर्गा पूजा पंडालों और मंदिरों पर किए गए हमलों में शामिल दोषियों की पहचान करनी चाहिए और यह बांग्लादेश सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने देश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे. सरेशवाला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी बताया जाता है.
उन्होंने कहा कि, बांग्लादेश में हिंदू अपने देश के उतने ही नागरिक हैं जितने कि कोई और. उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें बांग्लादेश के किसी भी अन्य नागरिक की तरह धार्मिक स्वतंत्रता होनी चाहिए.
अहमदाबाद स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता मुख्तार मोहम्मद ने कहा कि, “बांग्लादेश में मंदिरों पर हुए हमले बेहद निंदनीय हैं, फिर चाहे उनके पीछे कोई उकसावा रहा हो या कोई और बात ही क्यों न रही हो.” उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी सरकार को तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.