मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
लखीमपुर | लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम स्वामी प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम में कृषि बिल का विरोध करने पहुंचे किसानों को भाजपा मंत्री के बेटे के द्वारा रौंद डालने की घटना सामने आई थी. इस घटना में 4 किसानों की मौत हुई थी. घटना को एक हफ़्ते पूरे हो चुके हैं लेकिन सत्ता पक्ष का कोई भी नेता इन पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं पहुंचा.
इंडिया टुमारो को पीड़ित परिवारों ने बताया कि मरने वाले किसानों के घर कोई भजपा नेता, मंत्री, सांसद और विधायक तो दूर कोई कार्यकर्ता भी नहीं पहुंचा.
इस घटना को एक हफ्ता पूरा हो चुका है लेकिन शोक में डूबे परिवार को भाजपा का क्षेत्रीय, राज्य स्तरीय या केंद्रीय नेता सांत्वना देने नहीं पहुंचा.
कुछ ग्रामीणों ने इंडिया टुमारो को बताया कि बहुत से भाजपा कार्यकर्ता दुख साझा करने के लिए पीड़ितों के घर जाना तो चाहते हैं लेकिन डर और शर्म के कारण वो पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं जा रहे.
एक और ग्रामीण ने बताया कि इस घटना के बाद से लखीमपुर और नानपारा के आसपास के भाजपा कार्यकर्ता सहमें हुए हैं और कई ने अपनी गाड़ियों से भाजपा का झंडा भी निकाल दिया है.
इस घटना में मारे गए सभी पीड़ित परिवारों से इंडिया टुमारो ने उनके घर जाकर बात की. धहरौरा के नक्षत्र सिंह, मझगईं के लवप्रीत सिंह, बहराइच ज़िला की नानपारा तहसील के गांव बंजारन टांडा के दलजीत सिंह और मोहर्निया के गुरविंदर सिंह के परिवार से बात कर उनकी सरकार से मांगों पर चर्चा की.
सभी पीड़ित किसानों का यही कहना है कि मुआवज़ा न्याय नहीं है. हमें न्याय चाहिए भले ही सरकार मुआवज़े की रक़म ख़ुद रख ले.
पीड़ित किसान परिवारों ने इंडिया टुमारो से बातचीत में कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में संज्ञान लेने से काफी राहत मिली है. हमें योगी सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं है.
सभी पीड़ित परिवारों ने भाजपा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के त्यागपत्र की मांग की है. पीड़ित परिवारों का कहना है कि मंत्री के आरोपी बेटे ने वही किया जो 27 सितंबर को मंत्री ने कहा था. इस अपराध के लिए उकसाने का काम मंत्री ने किया है और जब तक मंत्री त्यागपत्र नहीं देते और उनपर हत्या के मामले के तहत कार्रवाई नहीं होती हमें न्याय नहीं मिलेगा.
उधर 12 अक्तूबर को लखीमपुर के तिकुनिया में भारी संख्या में किसानों के जुटने और मंत्री के त्यागपत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन है. राकेश टिकैत ने सरकार से जो समझौता किया था उसमें मंत्री का त्यागपत्र भी शामिल था.