मसीहुज़्ज़मा अंसारी
लखीमपुर | लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में पिछले हफ्ते 3 अक्तूबर को हुए किसानों पर हमले में मारे गए 8 लोगों में एक 20 वर्षीय युवा किसान लवप्रीत सिंह भी हैं. उनकी मौत से पूरा परिवार सदमें में है और न्याय की मांग कर रहा है.
लवप्रीत सिंह 20 वर्ष के थे और किसान आंदोलन में शुरू से ही सक्रीय थे. घटना वाले दिन भी प्रदर्शन में शामिल हुए और अपना प्रतिरोध दर्ज कराया.
प्रदर्शन ख़त्म होने के बाद लौट रहे लोगों के हुजूम में थे तभी भाजपा मंत्री अजय मिश्रा के बेटे की गाड़ी समेत 2 अन्य गाड़ियों ने लौट रहे किसानों को कुचल डाला जिसमें लवप्रीत भी शामिल थे. वहां मौजूद लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन लवप्रीत ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
घर में मां अपने बेटे के इस दुनिया से चले जाने का यक़ीन ही नहीं कर पा रही. लवप्रीत की माँ हर आहट पर लवप्रीत के आने का ख़ुद को बार-बार एहसास दिलाने की कोशिश कर रही हैं.
लवप्रीत स्नातक कर पलिया से अंग्रेज़ी भाषा का कोर्स कर रहे थे. वह आगे पढ़ने और फिर कमाने के लिए विदेश जाना चाहते थे.
अपने पिता के साथ लवप्रीत खेती में हाथ बंटाते थे. घर का 3 एकड़ खेत है जिसमें गन्ने की फसल लगी हुई है. यही परिवार की आमदनी का ज़रिया है.
लवप्रीत की दो बहनें हैं, एक बारहवीं में हैं और एक स्नातक कर रही हैं. अपने भाई की अचानक हुई मौत से दोनों बहनें आहत हैं और सदमें में हैं.
लवप्रीत की मां का बुरा हाल है, वह अपने बेटे के ग़म में बीमार हो गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए सुनवाई में लवप्रीत की मां का बेहतर उपचार कराने के लिए कहा था.
लवप्रीत का परिवार लखीमपुर के निघासन से 15 किलोमीटर दूर मझगईं तिराहे से 7 किलोमीटर अंदर चौखडा फार्म का रहने वाला है.
परिवार अमृतसर से 1965 में यहां आकर बसा और यहीं खेती के काम में लग गया.
लवप्रीत का घर अभी पूरी तरह से बना भी नहीं है. घर में प्लास्टर नहीं है और बाहर कच्चा सेहन और बरामदा है.
लवप्रीत के दूर के भाई हरप्रीत ने इंडिया टुमारो को बताया कि लवप्रीत देश और समाज के लिए कुछ करना चाहता था. किसी भी सामाजिक काम मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता था. किसानों के हक़ में हमेशा खड़ा रहता और उस दिन भी इसीलिए प्रदर्शन में शामिल होने गया था.
लवप्रीत के एक और दोस्त ने हमें बताया कि वह बहुत ही शांत स्वभाव का युवा था और बहुत ही मिलनसार था.
मृतक लवप्रीत के पिता सतनाम सिंह ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “लवप्रीत के साथ जो हादसा हुआ उसकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो सकती. यह जानबूझकर किया गया हमला है, जिसका मकसद प्रदर्शन को निशाना बनाना था.”
उन्होंने बताया कि, “मंत्री पहले भी इस तरह के हमले की बात सार्वजनिक रूप से कह चुके थे. उस दिन भी प्रदर्शन ख़त्म हो चुका था. वो दहशत फैलाना चाहते थे. वह लोग पुराने क्रिमनल लोग है. इस हमले में किसान नेता तेजिंदर सिंह वेग को निशाना बनाया गया हालांकि वो बच गए.”
इलाके में कैसा है माहौल?
लोग प्रशासन के रवैय्ये से नाराज़ हैं. कोई गिरफ्तारी नहीं हो रही क्योंकि आरोपी केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री का बेटा है इसलिए. पुलिस और अधिकारी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे.
मझगईं से लवप्रीत के गांव जाने के लिए मुड़ने वाले तिराहे पर दर्जनों घर हैं जो अचानक सैकड़ों गाड़ियां दिनभर उनके घरों के सामने से गुज़रने के गवाह बन रहे हैं. हर घर से सहमे से बच्चे बाहर देखकर आपस में बातें करते हुए यह अंदाज़ा लगाते हैं कि अब कौन लवप्रीत के घर जा रहा है.
उधर लवप्रीत के घर मिलने आने वालों का हुजूम है. पंजाब से नवजोत सिंह सिद्धु, अकाली दल के नेता, और अन्य राजनीतिक व्यक्ति लवप्रीत के घर पहुंच रहे हैं.
परिवार को योगी सरकार से ज़्यादा सुप्रीम कोर्ट पर है भरोसा:
लवप्रीत के पिता सतनाम सिंह ने बताया कि उन्हें योगी सरकार उनके प्रशासन से अधिक सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यदि इस मामले में संज्ञान नहीं लेता तो शायद ये मामला भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाता.
उन्होंने कहा कि हमें न्याय चाहिए, इससे कम पर कोई बात नहीं होगी.
मुझे मुआवज़ा नहीं, न्याय चाहिए:
मृतक लवप्रीत के पिता ने कहा कि मुआवज़ा तो दिया गया पर न्याय नहीं मिल सका. अभी तक दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई. हमें न्याय चाहिए. हमें न्याय दे दें हम मुआवज़ा उससे अधिक उनको दे देंगे.
उन्होंने कहा कि, “मुआवज़े से मेरा बेटा वापस आजाएगा? अगर मेरा बेटा वापस आजाये तो मुझ से दूना मुआवज़े की रक़म ले लें. न्याय से कम पर कोई बात नहीं होगी. हमने अपना एकलौता बेटा खोया है.”
किसी मौत से आंदोलन ख़त्म नहीं होता: लवप्रीत के पिता
लवप्रीत के पिता सतनाम सिंह ने बताया कि किसान आंदोलन के शुरू से ही लवप्रीत सक्रिय थे. उस दिन भी वह इलाके के कुछ लोगों के साथ प्रदर्शन में शामिल होने गया था. प्रदर्शन ख़त्म होने के बाद लौट रहा था तभी हमले में उसकी मौत हो गई.
इस सवाल पर कि क्या इस मौत से इलाके के लोग आंदोलन में जाने से बचेंगे, लवप्रीत के पिता कहते हैं कि बिल्कुल नहीं बल्कि पहले से ज़्यादा और मज़बूती के साथ यहां का युवा प्रदर्शन में शामिल होगा. मौत आंदोलन को कमज़ोर नहीं करेगी बल्कि नई जान पैदा करेगी.”