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Thursday, April 25, 2024
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‘धर्मांतरण’ या चुनाव से पूर्व ध्रुवीकरण का प्रयास?

इंडिया टुमारो से बात करते हुए डॉ ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने कहा कि, “उमर गौतम हों या मौलाना कलीम सिद्दिक़ी हों यह सभी लोग संविधान पर यक़ीन रखने वाले लोग हैं और संविधान हमें किसी भी धर्म को मानने की, उसे प्रचार करने की और किसी भी धर्म को न मानने की आज़ादी देता है. संविधान पर इसी यक़ीन की बुनियाद पर अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं. जिस तरह ईसाई अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं, जैसे बौद्ध कर रहे हैं जैसे सिख कर रहे हैं या हिन्दू ख़ुद अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं लेकिन जब बात मुसलमानों की आती है तो इसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है.”

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | मशहूर इस्लामिक विद्वान मौलाना कलीम सिद्दीकी व उनके तीन अन्य साथियों को उत्तर प्रदेश एटीएस ने धर्मांतरण के मामले में मेरठ से देर रात गिरफ्तार किया है. इस मामले में मुफ्ती काजी और उमर गौतम की पहले गिरफ्तारी हो चुकी है.

पुलिस ने दोनों के कलीम सिद्दीकी से लिंक जुड़े होने का दावा किया है. आरोप है कि विदेश से करोड़ों रुपये मौलाना कलीम सिद्दीकी के खाते में आए थे. मौलाना कलीम को लखनऊ ATS स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया जिसके बाद उन्हें 5 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

एटीएस की प्रेस रिलीज़ में यह भी दावा किया गया है कि, मौलाना लालच देकर लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसाते थे. वह अपना ट्रस्ट चलाने के साथ तमाम मदरसों को भी फंडिंग करते थे.

हालांकि कई सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धजीवियों ने इस गिरफ्तारी का विरोध किया है और इसे चुनाव से पूर्व पोलराइज़ेशन का प्रयास बताया है.

एटीएस द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में जिन लिट्रेचर और वीडियो के लिंक साझा करते हुए उन्हें धर्मांतरण के लिए उकसाने वाला बताया गया है उनमें एकेश्वरवाद पर चर्चा की गई है और ईश्वर को सर्वशक्तिमान बताया गया है.

ATS द्वारा साझा किये गए एक वीडियो में एक घटना को साझा करते हुए मौलाना कलीम सिद्दिक़ी ने बताया है कि, “बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले 29 लोग अपने जीवन में काफी परेशान रहे और अंततः आध्यात्मिक शांति की तलाश में मुसलमान हो गए.”

दिल्ली के ओखला से विधायक और दिल्ली वक्फ़ वोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने ट्विट कर कहा है कि, “मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी साहब को गिरफ्तार किया गया है, मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है और इन मुद्दों पर सेक्यूलर पार्टियों की खामोशी भाजपा को और मज़बूती दे रही है.”

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि, “उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर वोटों का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से मुसलमानों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है. इस अभियान को चलाने की जिम्मेदारी एटीएस को सौंप दी है जो कभी आतंकवाद तो कभी धर्मान्तरण के नाम पर फर्जी गिरफ्तारियां कर रही है.”

मुहम्मद शुऐब ने कहा कि, “मौलाना कलीम सिद्दीकी एक प्रतिष्ठित इस्लामिक स्कालर हैं. उनके धार्मिक क्रियाकलापों को जिस तरह से आपराधिक बनाकर पेश किया जा रहा है, यह एक साजिश है और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है. धर्मान्तरण के नाम पर जो अभियान आरएसएस और बजरंगदल चलाते थे वो काम यूपी एटीएस कर रही है. संविधान को ताक पर रखकर जो नए कानून योगी सरकार ला रही है वो न सिर्फ नागरिक अधिकारों का हनन कर रहे है बल्कि सामाजिक ढांचा छिन्न-भिन्न कर रहे है.”

मौलाना कलीम सिद्दीकी मंगलवार शाम को मेरठ में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. वह ग्लोबल पीस सेंटर के अध्यक्ष हैं और एक मशहूर इस्लामिक विद्वान हैं. वह फुलत के मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के निदेशक भी हैं.

एटीएस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी पर हवाला के जरिए अवैध धर्मांतरण के लिए फंडिंग जुटाने का आरोप है. ATS ने जारी प्रेस रिलीज़ में मौलाना कलीम पर यूट्यूब और लिट्रेचर के ज़रिए धर्मांतरण करने का आरोप लगाया है.

मौलाना कलीम सिद्दीकी (64 वर्ष) उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के फुलत गांव के निवासी हैं. मंगलवार शाम सात बजे लिसाड़ीगेट के हूमायुंनगर में मस्जिद माशाउल्लाह के इमाम शारिक के आवास पर एक कार्यक्रम में शामिल होने आये थे.

एटीएस के मुताबिक, मौलाना कलीम के खाते में 1.5 करोड़ रुपये बहरीन से आए थे और अकाउंट में कुल 3 करोड़ रुपये आए थे.

आल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने इन गिरफ्तारियों पर इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा कि, “जो लोग बिना किसी एजेंडे के संघ परिवार के साथ और मोहन भागवत के साथ बातचीत करना भी चाहते हैं वो भी वर्तमान में सुरक्षित नहीं हैं. मौलाना कलीम सिद्दीक़ी की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा होनी चाहिए और जो लोग भारत के संविधान पर आस्था रखते हैं उनको एकजुट होकर इस गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए.”

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने मौलाना कलीम सिद्दिक़ी की गिरफ़्तारी पर कहा, “इस तरह की गिरफ्तारियों का सम्बंध इनकी पोलराइज़ेशन की राजनीति का एक हिस्सा है. क्योंकि आने वाले महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जिनमें सबसे बड़ा राज्य यूपी है जहां से मर्कज़ी हुकूमत का रास्ता तय होता है. जैसे गाय का मुद्दा हो, बीफ का हो, लव जिहाद का हो, उसी तरह यह भी मुद्दा है जो झूठ पर आधारित है.”

इंडिया टुमारो से बात करते हुए डॉ ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने कहा कि, “उमर गौतम हों या मौलाना कलीम सिद्दिक़ी हों यह सभी लोग संविधान पर यक़ीन रखने वाले लोग हैं और संविधान हमें किसी भी धर्म को मानने की, उसे प्रचार करने की और किसी भी धर्म को न मानने की आज़ादी देता है. संविधान पर इसी यक़ीन की बुनियाद पर अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं. जिस तरह ईसाई अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं, जैसे बौद्ध कर रहे हैं जैसे सिख कर रहे हैं या हिन्दू ख़ुद अपने धर्म का प्रचार कर रहे हैं लेकिन जब बात मुसलमानों की आती है तो इसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है.”

डॉ खान ने कहा, “अगर इनपर सिर्फ यह आरोप लगाया जाएगा कि यह धर्म का प्रचार कर रहे थे तो कोई भी अदालत यह कहेगी कि इसमें ग़लत क्या है, यह तो संवैधानिक अधिकार है. इसीलिए कभी फण्ड का आरोप लगाया जाता है, कभी कहा जाता है बाहर से पैसा आया, कभी यह कि हवाला से पैसा ले रहे थे और कभी कुछ जो मैं समझता हूँ कि बड़ी हद तक झूठ है. हो सकता है कहीं से पैसा आया हो लेकिन बड़ी तादात में जो आरोप लगाया जाता है कि करोड़ों रुपए वो मुझे सही मालूम नहीं पड़ता.”

मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा है कि, “ये गलत है. भाजपा सरकार के पास मुसलमानों को परेशान करने के अलावा कोई काम नहीं.”

आम आदमी पार्टी के नेता, दिल्ली के ओखला से विधायक और दिल्ली वक्फ़ वोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने ट्विट कर कहा है कि, “उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले अब मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी साहब को गिरफ्तार किया गया है, मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है। इन मुद्दों पर सेक्यूलर पार्टियों की खामोशी भाजपा को और मज़बूती दे रही है. यूपी चुनाव जीतने के लिए बीजेपी आखिर और कितना गिरेगी?”

एडीजी, कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने मीडिया को बताया कि, “मौलाना कलीम सिद्दीकी जामिया इमाम वलीउल्ला नाम का एक ट्रस्ट चलाते है. जिसके जरिये सामाजिक सौहार्द के कार्यक्रमों की आड़ में विभिन्न प्रकार का लालच देकर अवैध धर्मांतरण का सिडिंकेट चला रहे. मौलाना कलीम के ट्रस्ट में हवाला और विदेशों से होने वाली फंडिग के जरिये तमाम मदरसों को भी फंडिग की जाती है.”

ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने कहा कि, “धर्मांतरण जैसे आरोप लगाकर परेशान किया जाएगा, परिवार परेशान होगा फिर कई साल जेल में बंद रहने के बाद अदालत कोई सबूत न मिलने पर बरी कर देगी लेकिन उन पुलिस अफसरों और राजनीतिज्ञों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी जिन्होंने फंसाया था.”

डॉ खान ने कहा कि, टेरर के मामलों में 98 प्रतिशत मामलों में लोग बरी हो रहे हैं. यह साबित करता है कि जिनके हाथों में पावर और सत्ता है वो उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.

सुरक्षा एजेंसियों कि रटी रटाई स्क्रिप्ट की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि, “एजेंसियों द्वारा कहा जाता है कभी आईसिस आगया कभी अलक़ाएदा आगया और कभी कोई आगया लेकिन कभी कोई नहीं आता और सभी मनगढ़ंत बातें साबित होती हैं. यह केवल बहुसंख्यक आबादी में यह डर पैदा करने का प्रयास है कि उन्हें ख़तरा है एयर इस ख़तरे से उन्हें केवल भाजपा और मोदी ही बचा सकते हैं हैं.”

एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के मुताबिक बीते 20 जून को यूपी एटीएस ने धर्मांतरण कराने वाले उमर गौतम समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. उमर गौतम और उसके साथियों को बाहर से फंडिंग किये जाने का आरोप था. इस दौरान इस मामले में दिल्ली में रहने वाले मौलाना कलीम सिद्दीकी का भी नाम आया था.

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