इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन के बाद से शुरू हुए किसान आंदोलन के 299 दिन पूरे हो चुके हैं. सरकार से कई दौर की वार्ता के विफल होने के बाद किसानों ने कई बार भारत बंद को सफल बनाते हुए सरकार को कड़ा संदेश देने का काम किया है. इसी क्रम में 27 सितंबर को भी किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है जिसका देशभर में समर्थन के साथ-साथ विदेशों से भी समर्थन मिल रहा है.
संयुक्त किसान मोर्चा के 27 सितंबर 2021 को भारत बंद के आह्वान के बाद अन्य देशों में भी एकजुटता दिखाते हुए विरोध की योजना बनाई जा रही है. ब्रिटेन में 25 सितंबर को लंदन के इंडिया हाउस के बाहर एकजुटता का प्रदर्शन होगा. इस बीच कनाडा में भारतीय किसानों के विरोध का समर्थन वहां चुनावी मुद्दा बन गया है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि, “किसान देश की मंडियों में घोषित अल्प एमएसपी से भी कम कीमत पा रहे हैं. मंडियों के बाहर की स्थिति बदतर हो रही है. भारत सरकार किसानों की दुर्दशा की अनदेखी करती रहती है. भारत में लाभकारी एमएसपी गारंटी कानून लागू किए जाने की सख्त जरूरत है.”
संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन के बारे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बयानों की निंदा करते हुए इसे वापस लेने की अपील की है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई ने किसान आंदोलन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है, और विरोध करने वाले किसानों को “प्रायोजित” कहा है. राज्य विधानसभा के पटल पर यह कहना और भी निंदनीय है. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बयान की निंदा की है और उनसे इन अपमानजनक बयानों को वापस लेने की मांग की है.
किसान संगठनों ने बयान में कहा है, “पूरे भारत में विभिन्न वस्तुओं के लिए प्रचलित मंडी कीमत, जब खरीफ 2021 के लिए फसल का मौसम तेजी से आ रहा है, सरकार द्वारा घोषित अल्प एमएसपी से भी नीचे है. अधिकांश व्यापार मंडियों के बाहर हो रहा है, और किसानों को मिलने वाली कीमतें औसत मंडी कीमतों से भी कम हैं.”
किसान संगठनों का कहना है कि, “भारत सरकार एमएसपी घोषणा मूल्य पर पहुंचने के लिए गलत लागत अवधारणा का उपयोग कर रही है, और व्यापक लागत सी2 का उपयोग एमएसपी फॉर्मूले, जो सी2 से कम से कम 50% और अधिक मार्जिन हो, के लिए नहीं किया जा रहा है.”
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है, “वर्तमान स्थिति भारत के किसानों की दुर्दशा के साथ-साथ मोदी सरकार की घोर उदासीनता को भी दर्शाती है, जो इस स्थिति से आंखें मूंद रखी है. एसकेएम एक बार फिर दोहराता है कि यह उचित समय है कि भारत सरकार एक ऐसा कानून बनाए जो कम से कम सभी कृषि वस्तुओं और सभी किसानों के लिए सी2+50% पर लाभकारी एमएसपी की गारंटी दे.”
किसान संगठनों ने कहा है कि, “उत्तर प्रदेश में जैसे ही किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री के संभल क्षेत्र के दौरे के दौरान उनके खिलाफ काले झंडे के विरोध की योजना बनाना शुरू किया, पुलिस का दमन शुरू हो गया. कई किसानों को हिरासत में लिया गया. एसकेएम उत्तर प्रदेश सरकार को किसानों के शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की याद दिलाना चाहता है.”