इश्फाक़ुल हसन
नई दिल्ली | संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेचलेट ने देश में और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) का कथित रूप से गलत इस्तेमाल किए जाने पर मोदी सरकार की सख्त आलोचना की है.
हालांकि, भारत ने कश्मीर पर उनकी टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा है कि यह टिप्पणी “अनुचित” है.
मंगलवार को जिनेवा में ह्यूमन राइट्स कोंसिल के 48वें सेशन में बोलते हुए सुश्री बेचेलेट ने सरकार द्वारा यूएपीए के उपयोग को “चिंताजनक” बताया.
उन्होंने कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करने के कारण सैकड़ों लोग हिरासत में हैं.
उन्होंने कहा कि, “जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक सभाओं और अस्थायी संचार पर भारतीय अधिकारियों का लगातार प्रतिबंध जारी है, वहीं एक ओर सैकड़ों लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करने के कारण हिरासत में हैं, और पत्रकारों को भी लगातार बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है.”
उन्होंने कहा कि, पूरे भारत में गैरकानूनी गतिविधिय (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) का उपयोग चिंताजनक है, जिसका इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर में सबसे ज्यादा किया जा रहा है.
सुश्री मिशेल ने कहा कि, “मैं आतंकवाद का मुकाबला करने और क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को मानती हूं, लेकिन इस तरह के प्रतिबंधों के नतीजे में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और तनाव और असंतोष को बढ़ावा मिल सकता है.”
सुश्री बेचेलेट के आरोप को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय की सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने कहा कि, “किसी राज्य की राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति सम्मान दर्शाते हुए ओर उसके आंतरिक मामलों में दख़ल न करते हुए उस देश में मानव अधिकारों को बरकरार रखने में आ रही किसी भी कमी को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए.”
मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि, “जम्मू और कश्मीर सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम(UAPA) के तहत 1,200 से अधिक मामलों में 2,300 से अधिक लोगों और सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत 954 लोगों पर मामला दर्ज किया है.”
इनमें से यूएपीए के तहत बुक किए गए 46 प्रतिशत और पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए लगभग 30 प्रतिशत लोग अभी भी जम्मू-कश्मीर में और उससे बाहर जेलों में हैं.
यूएपीए के तहत 2,364 , गिरफ्तार किए जा चुके हैं. 2019 में 437 मामलों में 918, 2020 में 557 मामलों में 953 लोगों और इस साल जुलाई के अंत तक 275 मामलों में 493 (कश्मीर में 249 मामले, जम्मू में 26 मामले) लोगों को पकड़ा गया. इनमें से 1,100 लोग अभी भी हिरासत में हैं.
संसद में पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से राजनेताओं सहित 5,161 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था.
फरवरी में, तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने उच्च सदन को सूचित किया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा संकलित क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट-2019 के अनुसार, 2019 में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की कुल संख्या है 1948 है.
देश में यूएपीए के तहत 2016 से 2019 तक गिरफ्तार और दोषी ठहराए गए व्यक्तियों की कुल संख्या क्रमशः 5,922 और 132 है. मंत्री ने कहा कि एनसीआरबी इस डेटा को धर्म, जाति, जाति या लिंग के आधार पर नहीं रखता है.
इस साल मार्च में लोकसभा में पेश किए गए गृह मंत्रालय (एमएचए) के आंकड़ों से पता चला है कि 2019 में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की संख्या में 2015 की तुलना में 72% से अधिक की वृद्धि हुई है.
2019 में देश भर में दर्ज 1226 मामलों में यूएपीए के तहत 1,948 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 2015-2018 में दर्ज ऐसे मामले 897, 922, 901 और 1182 थे और इन मामलों में गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या क्रमशः 1128, 999, 1554 और 1421 थी.
2019 में, इस तरह के सबसे अधिक मामले मणिपुर में दर्ज किए गए, जहां कुल 306 में दर्ज किए गए, इसके बाद तमिलनाडु में 270, जम्मू-कश्मीर में 255, झारखंड में 105 और असम में 87 मामले दर्ज किए गए.
उसी वर्ष यूएपीए के तहत सबसे अधिक गिरफ्तारियां उत्तर प्रदेश में हुई, जहां कुल 498 लोग गिरफ्तार किए गए. मणिपुर में 386, तमिलनाडु में 308, जम्मू-कश्मीर में 227 और झारखंड में 202 गिरफ्तारी की गईं.