इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए लव जिहाद क़ानून ‘गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधित) अधिनियम-2021’ की कुछ धाराओं के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि, पुलिस में एफआईआर तब तक दर्ज नहीं हो सकती, जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि शादी ज़बरदस्ती या लालच देकर की गई है.
जमीअत उलेमा ए हिन्द द्वारा हाई कोर्ट में लव जिहाद कानून के खिलाफ पिटीशन दाखिल की गई थी जिसपर सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा लाए गए गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम की कुछ धारा पर रोक लगाया है.
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ इस खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होंने कहा, “हमारी यह राय है कि आगे की सुनवाई लंबित रहने तक धारा तीन, चार, चार ए से लेकर धारा चार सी, पांच, छह एवं छह ए को तब लागू नहीं किया जाएगा. यदि एक धर्म का व्यक्ति किसी दूसरे धर्म व्यक्ति के साथ बल प्रयोग किए बिना, कोई प्रलोभन दिए बिना या कपटपूर्ण साधनों का इस्तेमाल किए बिना विवाह करता है और ऐसे विवाहों को गैरकानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए विवाह करार नहीं दिया जा सकता. अंतरधार्मिक विवाह करने वाले पक्षों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए यह अंतरिम आदेश जारी किया गया है.”
इसमें एक धारा एफआईआर दर्ज करने को लेकर भी थी. जमीअत ने अपनी याचिका में इस कानून पर रोक लगाने की मांग की थी.
कोर्ट के फैसले के अनुसार, लड़की को लालच देकर फंसाने का मामला साबित होने से पहले एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. साथ ही अलग-अलग धर्म की शादी होने पर शिकायत नहीं हो सकती.
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस कानून की धारा- 3, 4, 5 और 6 के संशोधनों को लागू करने पर रोक लगा दी है.
गुजरात सरकार ने इसी साल 15 जून को कथित लव जिहाद को रोकने के लिए ‘गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधित) अधिनियम-2021’ लागू किया था.