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Thursday, March 28, 2024
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दिल्ली के द्वारका में प्रस्तावित हज हाउस का विरोध, भूमि आवंटन रद्द करने की मांग

सैयद ख़लीक अहमद

नई दिल्ली | दिल्ली में द्वारका के सेक्टर 22 में 5000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में प्रस्तावित हज हाउस के निर्माण का वहां के निवासियो द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है.

ऑल द्वारका रेज़िडेंट्स फेडरेशन (एडीआरएफ) ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को एक पत्र सौंपा है, जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा हज हाउस को आवंटित की गई भूमि को रद्द करने की मांग की गई है. एडीआरएफ 6 अगस्त को स्थानीय लोगों की एक बैठक आयोजित करने जा रहा है. यदि उपराज्यपाल उनकी मांग को ठुकराते हैं तो विरोध करने वालों का अगला कदम क्या हो, बैठक इसी पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई.

एडीआरएफ सचिव बीपी वैष्णव के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि दिल्ली के 360 गांवों की खाप पंचायतों सहित द्वारका, पश्चिम और दक्षिण पश्चिम जिलों के निवासी हज हाउस का विरोध कर रहे हैं.

पत्र के माध्यम से द्वारका निवासियों में यह डर फैलाने की कोशिश की जा रही है कि अगर द्वारका में प्रस्तावित हज हाउस के निर्माण की अनुमति दी गई तो कानून-व्यवस्था के अलावा समाज में भाईचारा, सद्भाव और शांति भंग होगी.

स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश करते पत्र में यह भी कहा गया है, “हज हाउस बनने से दंगों, हिंदुओं के माइग्रेशन, शाहीन बाग, जाफराबाद और कश्मीर जैसी स्थिति बनने की पूरी संभावना होगी.”

एडीआरएफ के अध्यक्ष इंजीनियर अजीत स्वामी से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि, “हमारी मुख्य चिंता है कि जब हज यात्रा के दौरान मेवात, चंडीगढ़, पंजाब और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से बसें हज हाउस में आएंगी तो उस अवधि के दौरान ट्रैफिक जाम हो जायेगा.”

स्वामी ने कहा कि “अगर द्वारका निवासियों की इस चिंता को दूर कर दिया जाता है, तो निवासियों को हज हाउस से कोई समस्या नहीं है.”

स्वामी ने कहा कि, “हज हाउस का निर्माण सरकारी फंड से किया जाएगा. हज के बाद बाकी 11 महीनों तक इसका कोई इस्तेमाल नहीं रहेगा. हम चाहते हैं कि हज हाउस की इमारत का उपयोग गैर-हज अवधि के दौरान हॉस्पिटल, डिस्पेंसरी, कोचिंग कक्षाओं और ऐसे दूसरे समाजोपयोगी कार्यों के लिए किया जाए ताकि इस पर किए गए सार्वजनिक व्यय का उचित इस्तेमाल किया जा सके.”

एडीआरएफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैप्टन पवन कुमार सिंह ने कहा कि हज हाउस का निर्माण आईजीआई एयरपोर्ट के पास हो और हज यात्रियों के लिए सारी सुविधाएं वहीं पर मुहैया कराई जाएं तो ज़्यादा उचित होगा.

एडीआरएफ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने पत्र की सांप्रदायिक बातों की निंदा की. उन्होंने एक ट्वीट कर सवाल करते हुए कहा कि, “वैसे तो मुझे यहां बनने वाले किसी भी हज हाउस में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन इसके बनने से दंगे कैसे होंगे?”

हाशमी ने आरोप लगाया कि, “एडीआरएफ स्पष्ट रूप से मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैला रहा है जो एक आपराधिक कृत्य है”

जब केंद्र में यूपीए सरकार थी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं उस वक्त हज हाउस की परियोजना को दिल्ली सरकार ने मंजूरी दी थी. हज हाउस के लिए भूमि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के तहत डीडीए द्वारा भूमि आवंटित की गई थी.

निर्माण कार्य दिल्ली लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाना था. लेकिन ब्यूरोक्रेट्स और दिल्ली हज कमेटी के सदस्यों के बीच मतभेदों के कारण यह परियोजना रुक गई थी.

वर्तमान में, दिल्ली हज कार्यालय तुर्कमान गेट के पास हज मंजिल, राउज एवेन्यू से संचालित होता है.

अरविंद केजरीवाल सरकार ने दो साल पहले प्रस्तावित हज हाउस का एक बिल्डिंग लेआउट तैयार किया था. योजना के मुताबिक इस भवन पर करीब 94 करोड़ का रुपये की लागत आने का अनुमान है.

लेआउट योजना के अनुसार हज हाउस केंद्रीय रूप से वातानुकूलित होगा और इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग बेडरूम, वीआईपी सुइट, प्रार्थना कक्ष, रसोई, भोजन कक्ष, एक पुस्तकालय और भारत में हज यात्रा के इतिहास को दर्शाने वाला एक संग्रहालय भी होगा.

दिल्ली में हज हाउस के अभाव में हज यात्रियों को हज यात्रा पर जाने के लिए दिल्ली आने वाले तीर्थयात्रियों को रामलीला मैदान के ट्रांजिट कैंप में रहना पड़ता है. दिल्ली उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली के हज यात्रियों के लिए पड़ाव स्थल है. 20,000 से अधिक तीर्थयात्री आईजीआई हवाई अड्डे से हज के लिए उड़ान भरते हैं.

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