मसीहुज़्ज़मा अंसारी
उत्तर प्रदेश हमेशा से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है जो कि विभिन्न विचारधाराओं का उद्गम स्थल है. यहां की राजनीतिक हलचल राष्ट्रीय मीडिया का ध्यानाकर्षित करती रही है. यहां की राजनीतिक भूमि को समाजवादी आंदोलन, राम जन्मभूमि आंदोलन और काशीराम के बहुजन आंदोलन की प्रयोगशाला के रूप में भी जाना जाता है.
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हिंदुत्ववादी छवि के नेता और गोरखनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ हैं जिन्हें उनकी भाषा, नीति और उग्र राजनीतिज्ञ के रूप में जाना जाता है. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री कार्यकाल को साढ़े चार साल पूरे हो चुके हैं. इन चार सालों से अधिक समय में योगी सरकार का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है जिनकी विपक्ष के अलावा उनकी ही पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही मोर्चों पर आलोचना की गई है मगर हर बार स्थिति को अपने पक्ष में कर लेने में योगी आदित्यनाथ सफल हुए हैं. हालांकि, इसमें मीडिया और प्रशासन की बड़ी भूमिका है.
कोरोना त्रासदी और दूसरी लहर के बाद बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था. ऑक्सिजन की कमी से मरते लोग और बेड व दवाओं के लिए परेशान हाल परिजनों का दर्द किसी से छिपा नहीं है. इलाहाबाद, बनारस, जौनपुर और अन्य शहरों में गंगा में बहते सैकड़ों शव और गंगा किनारे हज़ारों की संख्या में दफ्न शवों की ड्रोन तस्वीरों ने अपनी दास्तान सुनाई थी. इसके बाद भी मीडिया मैनेजमेंट और प्रशासन के सहयोग से सभी प्रतिरोध की आवाज़ों को दबा दिया गया और संघ व भाजपा से कोरोना महामारी में बेहतर प्रदर्शन के लिए योगी आदित्यनाथ की पीठ थपथपाई थी और उनकी सराहना की थी.
पत्रकारों पर कार्रवाई:
एक तरफ योगी सरकार मीडिया प्रबंधन के सहारे उत्तर प्रदेश को सबसे बेहतर प्रदेश बताने की मुहिम में लगी है मगर दूसरी तरफ सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है. हाथरस में दलित युवती के कथित बलात्कार के मामले की रिपोर्टिंग करने जा रहे पत्रकार सिद्दीक कप्पन और उनके साथयों पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगकर NSA और गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पार्टी की नीतियों की आलोचना करने वाले पत्रकारों पर करवाई करने के आरोप लगते रहे हैं.
आयकर विभाग ने 22 जुलाई को दैनिक भास्कर समाचार पत्र के देश के कई कार्यालयों पर छापा मारा साथ ही इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों की टीम ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से प्रसारित होने वाले चैनल “भारत समाचार” के कार्यालय में छापा मारा.
साथ ही भारत समाचार चैनल के एडीटर इन चीफ बृजेश मिश्रा के गोमती नगर के विपुल खण्ड स्थित आवास पर भी छापा मारा गया. लखनऊ में ही भारत समाचार चैनल के यूपी हेड वीरेंद्र सिंह के जानकीपुरम आवास पर भी इनकम टैक्स की टीम ने छापेमारी की.
दोनों मीडिया संस्थानों ने यह दावा किया कि कोरोना काल में सरकारी अव्यवस्था और सच्चाई दिखाने के लिए उनको निशाना बनाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के पूर्व सहयोगी रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार पत्रकारों के खिलाफ बदले की भवना से काम करते हुए उन्हें निशाना बना रही है.
ओमप्रकाश राजभर ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार ने एक साल में 40 पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है.
ओम प्रकाश राजभर ने ट्वीट कर कहा था कि योगी सरकार में मिड डे मील के नाम पर मासूम बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की खबर लिखने वाले मिर्जापुर के पत्रकार पवन जायसवाल, आज़मगढ़ के पत्रकार संजय जायसवाल, प्रशांत कनौजिया भ्रष्टाचार उजागर करने वाले मनीष पांडेय के साथ UP सरकार ने जो किया वो क्या था? इमरजेंसी या रामराज?
इसी प्रकार कई पत्रकारों की हत्या का मामला भी योगी सरकार में सामने आया है.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले में पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की 13 जून 2021 की रात हत्या कर दी गई. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी पत्नी रेणुका श्रीवास्तव का कहना है कि जब से उन्होंने शराब माफ़िया के ख़िलाफ़ ख़बर चलाई थी तभी से कुछ लोग उनके पीछे पड़े थे.
घटना से एक दिन पहले सुलभ श्रीवास्तव ने इलाहाबाद ज़ोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अपनी हत्या की आशंका जताई थी हालांकि उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिल सकी.
प्रतिरोध की आवाज़ को दबाने का प्रयास:
योगी आदित्यनाथ पर प्रतिरोध की आवाज़ों को दबाने का आरोप लगता रहा है. नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ 19 दिसंबर 2019 को देशभर में हुए प्रदर्शनों में उत्तर प्रदेश में कथित रूप से पुलिस की गोली से 18 प्रदर्शनकारियों की जान चली गई थी और प्रदेशभर में हज़ारों प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध मामले दर्ज किए गए थे और उन्हें महीनों तक जेलों में बंद रखा गया.
सरकार ने घटना पर तर्क दिया था कि यह प्रदर्शकारी आगज़नी कर रहे थे और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे जबकि प्रदर्शन में शामिल दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप था कि योगी सरकार का दावा झूठा है और पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई है जिसके वीडियो भी वायरल किये गए थे.
चुनावों में भाजपा पर अराजकता का आरोप:
हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा का बुरा प्रदर्शन रहा जिसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में भाजपा द्वारा अराजकता की गई, गोलियां चलीं, बम चले और पुलीस अधिकारियों को थप्पड़ मारा गया और विपक्ष के प्रत्याशियों का नामांकन दाखिल नहीं करने दिया गया.
ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में महिलाओं के साथ अभद्रता की गई और उनके साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने धक्का मुक्की की गई, उनकी साड़ियां खींची गई और उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की गई.
कांग्रेस महासचिव ने भाजपा के इस व्यवहार पर ट्विट कर कहा था कि, “जनता ने वोट देकर बीडीसी चुने, योगीजी के जंगलराज ने गोली, बम, पत्थर, लाठी चलाकर उन्हें धमकाया, उनका अपहरण किया, महिला सदस्यों के साथ बदतमीजी की. वोट की ताकत वाले जनतंत्र पर योगीजी का जंगलराज हावी हो गया है. उन्हें ध्यान रखना चाहिए यह देश, इसका लोकतंत्र, इसकी जनता उनसे बड़ी है.”
‘बोली से नहीं गोली से’ सत्ता चलाने का प्रयास:
योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआत से ही संविधान की आत्मा के विपरीत बयानबाजियां करते रहे हैं. उन्होंने कहा था जो कि बोली से नहीं सुधरेगा उसे गोली से सुधारा जाएगा. इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी आलोचना हुई थी.
इसी प्रकार योगी ने अपराधियों के विरुद्ध एनकाउंटर कल्चर शुरू किया और ठोंक दो की प्रथा को जन्म दिया. दावा किया गया कि अपराधी या तो सुधर जाएं या प्रदेश छोड़कर चले जाएं. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि इतने एनकाउंटर के बाद भी अपराध में इज़ाफ़ा हुआ है.
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने पिछले सप्ताह प्रेस वार्ता में बताया कि राज्य सरकार के अब तक के कार्यकाल में संगठित अपराध का सफाया कर दिया गया है. साथ ही 20 मार्च 2017 से 20 जून 2021 तक की अवधि में कुल 139 अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गये हैं और 3,196 घायल हुए हैं.
हालांकि, इन दवाओं के बावजूद उत्तर प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में इज़ाफ़ा हुआ है खासतौर से महिलाओं के विरुद्ध अपराध बढ़े हैं.
रोज़गार के लिए युवा हर दिन लखनऊ में कर रहे प्रदर्शन:
योगी सरकार द्वारा लाखों नौकरियां दिए जाने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के युवा हर दिन लखनऊ में आकर कभी शिक्षक भर्ती तो कभी पुलिस भर्ती की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
पिछले एक हफ्ते में बेरोज़गारी से परेशान होकर इलाहाबाद और लखनऊ में युवाओं द्वारा आत्महत्या का मामला भी सामने आया है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने अपने ट्वीट कर कहा कि, “योगी सरकार उत्तरप्रदेश भाजपा सरकार युवाओं के साथ बहुत गलत कर रही है. सरकार ने रोजगार देने का झूठा प्रचार किया, लेकिन जब युवा अपना हक मांगने जाते हैं तो उनको मारा-पीटा जा रहा है. कल शिक्षक भर्ती में समाजिक न्याय के प्रावधानों को सही ढंग से लागू किए जाने की मांग कर रहे युवाओं को पीटा गया. खबरों के अनुसार महिलाओं के पेट में लात मारी गई.”
उन्होंने कहा, “आज एक अभ्यर्थी ने आहत होकर गोमती में छलांग लगा दी. मुख्यमंत्री जी ये सब बंद करिए. युवाओं की बात सुनिए, वरना उप्र के युवा आपको अपनी ताकत का अंदाजा करवायेंगे.”
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में युवा रोज़गार की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं मगर पुलिस द्वारा उनपर लाठियां चलाई जा रही है.
दलितों पर बढ़ता अत्याचार:
सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा यह दावा किया जाता रहा है कि योगी सरकार में दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं. हाथरस की घटना ने देश ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर दलितों की स्थिति और उनके साथ बर्ताव को दुनिया के सामने लाया था.
साल 2020 में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि, “यूपी सरकार की अनंत घोषणाओं और निर्देशों आदि के बावजूद दलितों और महिलाओं पर अन्याय-अत्याचार, बलात्कार और हत्या की घटनाएं नहीं रूक रही हैं. ऐसे में सरकार की नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है. खासकर छात्राओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, तो ऐसी कानून-व्यवस्था किस काम की?”
दलित नेता के रूप में पहचान बना चुके चंद्रेशखर आज़ाद ने कई बार मीडिया को बयान देते हुए योगी सरकार को मनुवादी सरकार कहते हुए दलितों पर अत्याचार होने का आरोप लगाया है.
‘स्मार्ट प्रदेश’ का दावा और ज़मीनी हक़ीकत:
कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली आये और तीन दिनों तक भाजपा आलाकमान से मिलते रहे. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से विस्तृत मुलाक़ातें हुईं जिसके बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बड़े-बड़े पोस्टर लगे जिसमें यूपी को अचानक स्मार्ट प्रदेश कहा जाने लगा.
हालांकि, उत्तर प्रदेश का ज़मीनी जाएज़ा लेने के बाद यह पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के लोग और खासकर कि मुख्यमंत्री के अपने शहर गोरखपुर में लोग इस स्मार्ट सिटी और स्मार्ट प्रदेश से अंजान हैं. गोरखपुर में लोगों ने बताया कि हलकी बारिश में शहर का हाल यह हो जाता है कि विश्वप्रसिद्ध गीता प्रेस की सड़कों पर घुटनों तक पानी जमा हो जाता है.
समाजवादी पार्टी गोरखपुर के निवर्तमान ज़िला अध्यक्ष राम नगीना साहनी ने बताया कि गोरखपुर के सांसद रवि किशन जिस कॉलोनी में रहते हैं वहां भी पानी जमा हो जाता है और लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. अगर यही स्मार्ट शहर है तो फिर भाजपा को मुबारक हो यह विकास.
उन्होंने बताया कि योगी सरकार ने इतनी योजनाओं का शिलान्यास किया है जितना कि प्रदेश सरकार का बजट भी नहीं है. वह केवल शिलान्यास कर रहे हैं मगर जिन योजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं वे सभी अखिलेश सरकार में शुरू की गई थीं. योगी जी ने मेट्रो का शिलान्यास किया है मगर मेट्रो कहाँ है पता नहीं. योगी जी के विकास की हकीकत हलकी बारिश में सामने आजाती है जब शहर के लोग नांव से चलने पर मजबूर हो जाते हैं.
महिलाओं के विरुद्ध अपराध में इज़ाफ़ा:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कार्यकाल के तीन वर्ष पर दावा किया था कि अपराध न्यूनतम है मगर NCRB का आंकड़ा प्रदेश में अपराध का अलग आंकड़ा पेश करता है. योगी आदित्यनाथ का दावा था कि, ”यूपी में न्यूनतम अपराध हैं, सामान्यतः उत्तर प्रदेश में अपराध तीन वर्षों में न्यूनतम हैं. लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है.”
हालांकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की जनवरी 2020 में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.
देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए. यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%.
यह दावे और इस प्रकार के सैकड़ों दावे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की असली तस्वीर बयां कर रहे हैं. मीडिया मैनेजमेंट के सहारे तस्वीर को बेहतर बनाने की जुगत में प्रतिरोध की आवाज़ को दबाया जा रहा है, बेरोज़गारों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं, राजनीतिक विरोधियों को क़ैद किया जा रहा है, पत्रकारों पर NSA लगाया जा रहा है और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं की संप्रभुता को ध्वस्त किया जा रहा है.
यह सब कुछ उस स्वघोषित राष्ट्रवादी पार्टी द्वारा किया जा रहा है जो हिंदुत्वा के नाम पर सत्ता में आई थी और ‘रामराज्य’ के स्वप्न दिखाए थे. संभव है कि उनके लिए ‘रामराज्य’ की परिभाषा यही रही हो लेकिन जनता ने शायद कुछ और समझ लिया.
(गुजराती भाषा की मैगज़ीन ‘युवा साथी’ के ऑनलाइन एडिशन में प्रकाशित लेख जिसे अब हिंदी में पब्लिश किया जा रहा है.)