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Friday, March 29, 2024
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काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने दी 1700 स्क्वायर फिट ज़मीन

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ । काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए वाराणसी में मुस्लिम समुदाय ने 1700 स्क्वायर फिट ज़मीन देकर उदारता का परिचय दिया है। मुस्लिम समुदाय के द्वारा ज़मीन दिए जाने से कॉरिडोर के बनने का रास्ता साफ हो गया है। वाराणसी के प्रशासन ने भी इसके बदले में मुस्लिम समुदाय को 1000 स्क्वायर फिट ज़मीन अन्य स्थान पर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने की एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। इसको साकार रूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मार्च 2019 को वाराणसी में इस योजना का शिलान्यास किया था। इस प्रस्तावित योजना पर 750 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का बजट निर्धारित किया गया था। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर से मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 1 किलोमीटर लम्बे और 70 फिट चौड़े कॉरिडोर का निर्माण किया जाना प्रस्तावित था। इस कॉरिडोर के ज़रिए काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा से जोड़ना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह मानना है कि इस कॉरिडोर के बनने से श्रद्धालुओं द्वारा गंगा में स्नान करके सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर जाया जा सकता है और फिर वहां पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर पूजा – अर्चना की जा सकती है।इससे श्रद्धालुओं को वाराणसी शहर में अनावश्यक रूप में भटकना नहीं पड़ेगा और शहर में भीड़ भी नहीं जमा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए शिलान्यास तो कर दिया, लेकिन इसके रास्ते में बहुत ही बाधाएं थीं।

इन बाधाओं को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया। इस कॉरिडोर को बनाने के रास्ते में लगभग 300 लोगों के मकान पड़ रहे थे। इन मकानों के मालिकों को मुआवज़ा देकर उन्हें मकान खाली करने के लिए कहा गया। लेकिन मकान मालिक इसके लिए तैयार नहीं हुए। इस पर जबरन दबाव बना कर उन्हें मुआवज़ा देकर जाने के लिए कहा गया। इसके पश्चात योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सम्बंधित मकान मालिकों को मुआवज़ा देकर उनके मकान ले लिया और उन मकानों को गिरवा कर कॉरिडोर बनाने के लिए काम शुरू करवा दिया।

इन गिराए गए मकानों में लगभग सभी में छोटे- छोटे मंदिर थे। इन मंदिरों में इनके मकान मालिक रोज़ पूजा -अर्चना करते थे। लेकिन इन मकानों को गिराए जाने के वक्त इन मंदिरों में स्थापित मूर्तियों का भी सम्मान नहीं किया गया। वाराणसी को गलियों और मंदिरों का शहर कहा जाता है।यहां प्रत्येक घर में मंदिर देखने को मिलते हैं। इन मकानों के मालिकों ने आखिरी वक्त तक प्रयास किया कि उनके मकान बच जाएं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और उनके मकान काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना में चले गए। इन मकान मालिकों का आरोप है कि उन्हें उनकी सम्पत्ति की कीमतों के हिसाब से उचित मुआवज़ा नहीं दिया गया बल्कि कम मुआवज़ा देकर उन्हें चलता कर दिया गया।

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना को इस वर्ष अगस्त माह में पूरा कर लिया जाना है। लेकिन अब यह संभव नहीं दिखाई देता है। इसे पूरा करने के लिए अब नवम्बर तक का समय बढ़ा दिया गया है। इस योजना के पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा मुस्लिम समुदाय के ओर से आ रही थी, क्योंकि इस योजना को पूर्ण करने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को और ज़मीन की आवश्यकता थी। यह ज़मीन ज्ञानवापी मस्जिद के पास थी और इसे मुस्लिम समुदाय ही दे सकता था। इस ज़मीन को हासिल करने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना से जुड़े हुए अधिकारियों ने मुस्लिम समुदाय से सम्पर्क करना शुरू किया। मुस्लिम समुदाय ने अब कॉरिडोर के लिए ज़मीन देना मंजूर कर लिया है।

इसी मंज़ूरी के तहत मुस्लिम समुदाय ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को 1700 स्क्वायर फिट ज़मीन दी है।मुस्लिम समुदाय द्वारा कॉरिडोर योजना को ज़मीन देकर बड़प्पन और उदारता का परिचय दिया गया है। मुस्लिम समुदाय के द्वारा जमीन दिए जाने की बड़ी प्रशंसा हो रही है। लोगों द्वारा यहां तक कहा जा रहा है कि इससे काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच चल रहे विवाद को हल करने का रास्ता खुलेगा। आगे चलकर बातचीत के ज़रिए काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद को भी हल किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच विवाद का मामला वाराणसी के कोर्ट में चल रहा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए जो ज़मीन दी गई है उसकी लिखित प्रक्रिया भी पूरी की गई है। आर्टिकल 31 के तहत एक्सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी के तहत जारी दस्तावेज़ में ई-स्टाम्प के ज़रिए इस सम्पत्ति का हस्तांतरण किया गया है। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद की ओर से 9 लाख 29 हजार रुपए की स्टाम्प ड्यूटी चुकाकर सम्पत्ति का हस्तांतरण किया गया है। ज़मीन की रिपोर्ट के अनुसार ज़मीनों का हस्तांतरण आदि विश्वेश्वर और ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से ज़मीनों की अदला- बदली के तौर पर की गई है।

इसी तरह काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय को 1000 स्क्वायर फिट ज़मीन दी है। यह ज़मीन काशी विश्वनाथ मंदिर ने बांस फाटक स्थित जगह पर मुस्लिम समुदाय को दी है। मुस्लिम समुदाय द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए 1700 स्क्वायर फिट ज़मीन देते ही कॉरिडोर के काम में तेज़ी की उम्मीद है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के लिए मुस्लिम समुदाय ने ज्ञानवापी मस्जिद से लगी हुई जो ज़मीन दी है, उस पर अभी तक जिला प्रशासन का कंट्रोल रूम स्थापित था।

काशी विश्वनाथ मंदिर को ज़मीन मिलते ही कॉरिडोर निर्माण के लिए जिला प्रशासन के स्थापित कंट्रोल रूम को तुरंत ढहा दिया गया है और कॉरिडोर निर्माण कार्य को तेज़ी के साथ शुरू कर दिया गया है। मुस्लिम समुदाय द्वारा ज़मीन न मिलने से कॉरिडोर के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही थी। काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन लगातार मुस्लिम समुदाय से सम्पर्क कर उसे ज़मीन देने के लिए राज़ी करने में जुटा हुआ था और अब जाकर उसे सफलता प्राप्त हुई है।

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को ज़मीन देने के अपने फैसले पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के ज्वाइंट सेक्रेटरी एस एम यासीन कहते हैं कि, मेरे इस फैसले से देश और समाज मे हिंदू-मुस्लिम के बीच अच्छा संकेत जाएगा। इससे हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पटेगी। इसीलिए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया और काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए ज़मीन दी गई है।

इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि, वे ज्ञानवापी मस्जिद की ज़मीन किसी को नहीं देने जा रहे हैं। कुछ लोग इस मामले को लेकर कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं, हालांकि, वह ज़मीन मस्जिद की है। जो ज़मीन दी गई है, वह मस्जिद के पास वाली है। दूसरे पक्ष को ज़रूरत थी, इसलिए हमने दी है। क्योंकि दूसरा पक्ष हमसे यह ज़मीन बहुत समय से मांग रहा था, लेकिन हमने अपने लोगों से बात करके ज़मीन दिया है। इसलिए ज़मीन देने का निर्णय लेने में लगभग दो वर्ष का समय लग गया।

बताया जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद के पक्ष के लोगों के ऊपर सरकार का बड़ा दबाव था। सरकार की ओर से काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को ज़मीन देने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। कॉरिडोर के लिए जिस तरह सरकार ने लगभग 300 लोगों के मकान ले लिया और किसी की कोई सुनवाई नहीं हुई।

शायद ज्ञानवापी मस्जिद के पक्ष ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए ज़मीन देना ही उचित समझा। क्योंकि मना करने की स्थिति में सरकार कोई अन्य रास्ता अपनाती जिससे स्थिति तनावपूर्ण होती. इन सबसे बचने के लिए मुस्लिम पक्ष का कॉरिडोर के लिए ज़मीन देना काफी सराहनीय और उचित क़दम है।

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