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Tuesday, April 16, 2024
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उत्तर प्रदेश: कोरोना से हुई मौत के आंकड़े छिपाने का प्रयास, सवाल करने वाले पूर्व IAS पर 7 मुकदमें

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों को छुपाने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सारे हथकंडे अपनाए हैं। हालांकि, योगी सरकार को इसमें कोई सफलता नहीं मिली है। कोरोना से हुई मौतों के बाद गंगा नदी में शवों को बहाने को लेकर ट्वीट करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह पर योगी सरकार ने राजद्रोह के 7 मुकदमें लगा दिए हैं।

कोरोना की दूसरी लहर में देश में यूपी सबसे अधिक प्रभावित हुआ। कोरोना की लहर ने अभी यूपी को अपनी चपेट में लेना शुरू किया था कि राज्य सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ कोरोना की चपेट में आ गए। योगी आदित्यनाथ कोरोना से संक्रमित होकर सीएम हाउस में आइसोलेटेड हो गए। वे खुद कोरोना से जूझने लगे। उनके कोरोना संक्रमित होने से राज्य सरकार को चलाने की सारी जिम्मेदारी उनके अधिकारियों पर आ गई। उनकी सरकार के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और उनकी पत्नी भी कोरोना संक्रमित हो गए।

दूसरे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अन्य मंत्री कोरोना के डर से भूमिगत हो गए। योगी आदित्यनाथ के खासमखास ए.सी.एस. होम अवनीश अवस्थी और नवनीत सहगल सरकार को चलाते रहे। कोरोना कॉल में अस्पतालों में दवाओं की कमी, बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी, वेंटिलेटर की कमी और एम्बुलेंस की कमी से महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई। लोगों की कोरोना से मौतें होने लगीं। कोरोना ने भयावह रूप अख्तियार कर लिया। पति ने पत्नी, पत्नी ने पति, माँ ने बेटा, बेटे ने माँ, बहन ने भाई , भाई ने बहन, पिता ने पुत्र, पुत्र ने पिता और बेटी ने माँ को कोरोना में खो दिया। कोरोना ने लोगों के ह्रदय को विचलित कर दियाऔर लोग टूट गए।

कोरोना कॉल में आगरा में एक पत्नी अपने पति का जीवन बचाने के लिए अपने मुंह से पति को सांसें देते नज़र आई, लेकिन वह अपने पति को नहीं बचा सकी। ऑक्सीजन की कमी के कारण उसकी मौत हो गई। फैजाबाद में एक बेटी अपनी मां को बचाने के लिए एम्बुलेंस का इंतजार करती रही, लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिली और उसकी मां की मौत हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी में एक माँ को एम्बुलेंस नहीं मिली और माँ अपने बेटे का शव एक ई-रिक्शा पर ज़मीन पर घसीटते हुए ले गई। जौनपुर में एक बूढ़ा आदमी अपनी पत्नी की लाश साईकिल के बीच में रखकर पैदल चलने को मजबूर हुआ।

आगरा में दम तोड़ते पति को बचाने के प्रयास में अपने मुंह से सांस देती पत्नी

कोरोना कॉल की इन घटनाओं ने लोगों के ह्रदय को झकझोर कर रख दिया। कोरोना के नियंत्रण से बाहर निकल जाने के कारण लोगों की भारी संख्या में मौतें हो गईं। सरकार पूरी तरह कोरोना को नियंत्रित करने में फेल हो गई। योगी आदित्यनाथ जब कोरोना से मुक्त होकर बाहर निकल कर आए, तब तक काफी देर हो चुकी थी। काफी संख्या में कोरोना से लोग मर गए थे। सरकारी दावों के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने कोरोना को काबू में करने का काफी प्रयास किया, लेकिन दवाओं की कमी, बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी, वेंटिलेटर की कमी और एम्बुलेंस की कमी के कारण योगी इस महामारी को नियंत्रित करने में विफल साबित हुई। योगी आदित्यनाथ ने कुछ नहीं कर पाए। कोरोना से भारी संख्या में लोगों की मौतें हुईं।

कोरोना से हुई मौतों के कारण मृतकों के दाह-संस्कार के लिए श्मशान घाट पर जगह की कमी हो गई। राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के तट पर दाह संस्कार करने के लिए मृतकों के परिजनों को इंतजार करना पड़ा। मृतकों की संख्या बढ़ने से सरकार की खूब आलोचना होने लगी। इससे योगी आदित्यनाथ की सरकार विचलित हो गई। राज्य सरकार ने तुरंत गोमती नदी के श्मशान घाट को टीन की चद्दरों से ढकवा दिया, जिससे लोगों को गोमती नदी के श्मशान घाट पर जलती हुई चिताएं न दिखाई दें।

चिताओं का वीडियो वायरल होने के बाद ढका गया लखनऊ का श्मशान घाट

कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए जब उनके परिजनों को जगह नहीं मिली तो उन्होंने सड़क और पार्क के किनारे शवों को जला कर अंतिम संस्कार किया। इस प्रकार के मामले गाजियाबाद में हुए। कोरोना से लोगों के मरने के उपरांत मृतकों की संख्या छुपाने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ा दिमाग लगाया और संख्या को कम करके बताया गया। लेकिन राजधानी लखनऊ और योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में नगर निगम द्वारा जारी मृतकों के डेथ सर्टिफिकेट की अधिक संख्या से योगी सरकार के दावों की पोल खुल गई और योगी सरकार कठघरे में खड़ी हो गई। इस तरह योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा कोरोना से हुई मौतों को छुपाने के लिए अपनाये गए सारे हथकंडे धरे के धरे रह गए।

कोरोना कॉल में असंख्य मौतें हुई हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मृतकों के दाह संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई और दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की कमी तक पड़ गई, तब मृतकों के परिजनों ने कोरोना मृतको को गंगा नदी में बहाना शुरू कर दिया। इसके बाद गंगा नदी में लाशों के बहने/तैरने के समाचार आने लगे। उन्नाव, कानपुर, रायबरेली, बलिया जिले से लेकर बिहार के बक्सर जिले में बहकर गंगा नदी में शवों के बहने और तैरने के मामले सामने आए। इस पर खूब हंगामा खड़ा हुआ तो केंद्र सरकार ने गंगा नदी में शवों को बहाने पर रोक लगाने के लिए कहा। इसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गंगा नदी में शवों को बहाने से रोंकने का काम किया।

बनारस में अपने बेटे के शव को रिक्शे पर लेकर जाती माँ चंद्रकला

यूपी के एडीजी ला एंड ऑर्डर, प्रशान्त कुमार ने इस संबंध में यूपी में पुलिस को शवों को गंगा नदी में बहाने से रोक लगाने के लिए कहा और गंगा नदी में 24 घण्टे गश्त करने के लिए कहा। योगी आदित्यनाथ की सरकार के इस तरह के आदेश के जारी किए जाने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर हो गए लोगों ने अपने परिवार के मृतकों को गंगा नदी के तट पर दफनाना शुरू कर दिया। लेकिन उड़ती हुई हवाओं ने दफन किए गए शवों के ऊपर पड़ी रामनामी चुनरियों को सामने ला दिया, जिससे एक बार फिर योगी की सरकार की जमकर आलोचना हुई। मोदी सरकार की भी आलोचना हुई। इससे केंद्र सरकार और योगी सरकार विचलित ही नहीं हुईं बल्कि डर भी गईं। इस पर आम जनता के कोपभाजन से बचने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दफन किए गए शवों के ऊपर से रामनामी चुनरियों को हटवा दिया। ऐसा करके सरकार ने दफन किए गए शवों के स्थान को मिटाने का काम किया है। गंगा नदी के तट पर उन्नाव, रायबरेली और इलाहाबाद में काफी शव दफन किए गए हैं।

योगी आदित्यनाथ की सरकार को फेल करने में उनके अपने ही अधिकारियों ने बड़ी भूमिका निभाई है। योगी आदित्यनाथ सरकार पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि वे अधिकारियों के कॉकस से घिरे हुए हैं और अधिकारियों के इशारों पर आंख मूंदकर काम करते हैं। इन अधिकारियों में पंचायती राज विभाग के अपरमुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की भी बड़ी भूमिका है। इन्होंने कोरोना मृतकों के दाह संस्कार के लिए नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों से 5000 रुपए ग्राम पंचायत से प्रत्येक मृतकों के दाह संस्कार के लिए देने के लिए आदेश दिया। लेकिन नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों का न तो शपथ ग्रहण हुआ था और न ही नए प्रधानों का बैंक एकाउंट खुला था। ऐसे में वह मृतकों के दाह संस्कार पर 5000 रुपए कहां से खर्च करते। जब ग्राम पंचायत के प्रधान शपथ ग्रहण नहीं किए थे और उनका बैंक एकाउंट नहीं खुला हुआ था तो मनोज कुमार सिंह ने इस तरह का आधा अधूरा आदेश क्यों जारी किया।

मनोज कुमार सिंह ने इस प्रकार का आदेश क्यों जारी किया, इसकी जांच की जानी चाहिए। अन्यथा यह माना जायेगा कि योगी आदित्यनाथ ने खुद उत्तर प्रदेश की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए इस तरह का आदेश जारी करवाया था। अगर इस तरह का आधा अधूरा आदेश न जारी किया गया होता तो आर्थिक रूप से कमजोर हो गए लोगों को अपने मृत परिजनों के दाह संस्कार के लिए राज्य सरकार से 5000 रुपए की मदद मिलती और लोग मृतकों का दाह संस्कार करते, जिससे गंगा नदी में न शव बहते और न ही गंगा नदी के तट पर लोग शवों को दफनाते।

हिन्दुत्व का ढिढोरा पीटने वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कोरोना कॉल में कोरोना मृतकों का सम्मान नहीं किया। केवल अपनी इज्जत बचाने के प्रयास में लगे रहे। आर्थिक रूप से कमजोर हो गए लोगों की मदद तक नहीं की। लोगों ने कैसे-कैसे व्यवस्था करके अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार किया है, यह लोगों की आत्मा ही जानती है।

सरकार ने अपनी इज्जत बचाने के लिए दफनाए गए शवों के ऊपर से रामनामी चुनरियों तक को हटवा दिया। अगर चुनरियों को शवों के ऊपर से हटवाया ही था तो सरकार को चाहिए था कि वह उन शवों का सम्मान जनक तरीके से अंतिम संस्कार ही करवा देती। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। दफन शवों को अंतिम संस्कार का सम्मान भी नहीं मिला। कोरोना कॉल की इस कड़वी सच्चाई को लोग कभी नहीं भुला पाएंगे।

कोरोना से हुई मौतों के बाद गंगा नदी में शवों के बहाने पर ट्विटर पर ट्वीट करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के ऊपर राजद्रोह के 7 मामले दर्ज किए गए हैं। यह मामला यूपी पुलिस ने दर्ज किया है। 3 मामले उन्नाव जिले में, 3 मामले राजधानी लखनऊ में और एक मामला बलिया जिले की पुलिस ने दर्ज किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूर्य प्रताप सिंह को गिरफ्तार न करने के लिए स्टे दे रखा है लेकिन इस सबके बावजूद उन्नाव जिले की पुलिस ने राजधानी लखनऊ की पुलिस को साथ लेकर इनके लखनऊ स्थित आवास पर छापा मारा और इनसे पूंछतांछ की। सूर्य प्रताप सिंह का कहना है कि सरकार के इशारे पर मुझे परेशान किया जा रहा है।

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