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Friday, March 29, 2024
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आसिफ लिंचिंग केस: महापंचायत के बाद चार आरोपी रिहा, पीड़ित परिवार ने उठाए सवाल

ख़ान इक़बाल | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 110 किलोमीटर दूर हरियाणा के नुहं ज़िले में स्थित ख़लीलपुर खेड़ा गाँव में बीते 16 मई को आसिफ़ खान नामक युवक की लगभग 35-40 लोगों द्वारा कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर देने का मामला सामने आया था. ख़लीलपुर खेड़ा गाँव आंशिक रूप से मेवात क्षेत्र का ही हिस्सा है, लेकिन यह मेवात का आख़री गाँव है. आसिफ़ नुहं शहर में एक जिम चलाता था.

पुलिस ने आसिफ की लिंचिंग के मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. हालांकि, आरोपियों के पक्ष में पिछले दिनों हुई महापंचायतों के बाद पुलिस ने 4 आरोपियों को ‘निर्दोष’ मानते हुए रिहा कर दिया. इन 4 कथित आरोपियों को पुलिस द्वारा बरी करने से पीड़ित परिवार दुखी है और इसे पुलिस द्वारा महापंचायतों के प्रभाव में लिया गया फैसला मानता है.

रिहा किए गए आरोपियों में अनूप, महिंदर, राजकुमार और संदीप हैं. मामले की जांच को लेकर बनी SIT के प्रमुख उपपुलिस अधीक्षक सुधीर तनेजा का कहना है की, “जाँच के दौरान हमने उन्हें निर्दोष पाया है”.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए आसिफ के परिवार ने कहा कि अभी तो पुलिस ने सभी हत्यारों को गिरफ्तार ही नहीं किया और उससे पहले ही 4 आरोपियों को रिहा कर दिया गया. परिवार के मुताबिक़ ये चारों मुख्य अभयुक्तों में से हैं.

घटना के चश्मदीद राशिद का कहना है की, “पुलिस ने जिन 4 आरोपियों को रिहा किया है वो 16 मई को आसिफ की हत्या करने में शामिल थे, मैंने अपनी आँखों से उन्हें वहां देखा है.”

दिल्ली से हरियाणा की तरफ़ जाते हुए जब गुरुग्राम ज़िले की सीमा समाप्त होती है, यहीं से ज़िला पलवल का इलाक़ा शुरू हो जाता है, पलवल ज़िले का ग्रामीण अंचल मेवात इलाक़े का हिस्सा है जहां मेव मुसलमानों की बड़ी आबादी रहती है.

पिछले कुछ सालों में मेवात के इलाके में लिंचिंग की कई घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं में कथित तौर पर गोतस्करी के आरोप लगा कर पहलू ख़ान और रकबर की भी मॉब लिंचिंग कर दी गई. उसके कुछ महीने बाद ट्रेन में सफ़र कर रहे 17 साल के हाफ़िज़ जुनैद की चाकुओं से गोद गोद कर हत्या कर दी गई थी.

आसिफ़ की लिंचिंग मेवात या फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में मुसलमानों की भीड़ द्वारा की गई हत्याओं से थोड़ी अलग मालूम होती है. आसिफ़ का परिवार गाँव के सम्पन्न परिवारों में आता है, आसिफ़ का छोटा भाई हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल है और उसके ताऊ गाँव के सरपंच रह चुके हैं.

16 मई को क्या हुआ था ?

इंडिया टुमारो से बात करते हुए मृतक आसिफ़ के चचा मोहम्मद हनीफ़ 16 मई की घटना को याद करते हुए कहते हैं, “उस दिन आसिफ़ को बुख़ार था वो दवाई लेकर सोहना से वापस लौट रहा था, उसके साथ उसका भाई राशिद और गाँव का एक लड़का वासिफ भी था. वहाँ से निकलते ही दो कारें उनकी कार के दोनों तरफ़ चलने लगीं, उनमें लगभग 15 लोग सवार थे. उन्होंने पहले आसिफ़ की कार को टक्कर मारकर पलटा और बाद में तीनों को खींच कर बाहर निकाला और बुरी तरह मारने लगे.”

उस दिन आसिफ के साथ कार में मौजूद और पूरे घटनाक्रम के चश्मदीद आसिफ के चचाज़ाद भाई राशिद कहते हैं, “उन लोगों ने पहले उन्हें लाठी, सरियों, पंचों से बहुत मारा फिर वो आसिफ़ को वहाँ से गाड़ी में डाल कर ले गए. मैंने घर पर फ़ोन कर सारी वारदात बताई लेकिन जब तक हम वहाँ पहुँचते आसिफ़ की हत्या हो चुकी थी, हमें वहाँ आसिफ़ की लाश मिली.”

आसिफ की लाश जहाँ मिली वो जगह सोहना गाँव से 3-4 किलोमीटर आगे नंगली गाँव के पास है. पीड़ित परिवार के अनुसार “पुलिस पहले से ही वहाँ मौजूद थी”.

आसिफ़ के चचा मोहम्मद हनीफ़ कहते हैं, “उस रोज़, दिन ढ़लने के बाद हमने बहुत सी मोटरसाइकलें सोहना की तरफ़ जाती हुई देखी जो हमारे गाँव से और हमारे घर के सामने बहुत तेज़ी से जा रही थीं. यह हत्या पूर्वनियोजित थी.”

क्या मुसलमान होना आसिफ़ की मौत का कारण बना है ?

चश्दीद राशिद के अनुसार, “हत्यारों में हमारे गाँव के भी हैं. मैंने उनसे कहा की हम एक ही गाँव के हैं बैठ कर मामले को सुलझा लेते हैं लेकिन उन्होंने धार्मिक टिप्पणी करते हुए गाँव में रहना मुश्किल कर देने और सभी को मारने की धमकी देते हुए हिंदुत्ववादी नारे बोलवाने की बात कही.”

आसिफ़ के चचा मोहम्मद हनीफ़ कहते हैं, “गाँव में मुसलमानों और गुर्जरों की संख्या लगभग बराबर है. कुछ लोग पेशेवर अपराधी हैं, इनमें से कुछ लोग हिन्दुत्ववादी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं. गाँव में सब के साथ लड़ाई करते रहते हैं, इन्होंने दूसरी जातियों को भी परेशान कर रखा है. हालांकि, जैसे ही लड़ाई मुसलमानों से होती है, वो इसे हिंदू-मुसलमान का रंग दे देते हैं ”

मोहम्मद हनीफ़, मृतक आसिफ के चचा

इंडिया टुमारो से बात करते हुए हनीफ कहते हैं कि, “गाँव में छोटी- मोटी लड़ाइयाँ तो होती रहती हैं लेकिन किसी की हत्या करने तक बात कभी नहीं पहुंची. गाँव में इनके खिलाफ़ कोई नहीं बोलता, सब डरते हैं लेकिन आसिफ इन लोगों की बदमाशियों को चुनौती देता था. यही कारण है की उन्होंने योजना बना कर उसकी हत्या कर दी.”

हनीफ आगे कहते हैं, “आसिफ को बहुत ही क्रूरता से मारा गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला है की 27 जगह उसकी हड्डी टूटी हुईं थीं, बर्फ़ तोड़ने वाले सूले से उसकी छाती और चहरे पर पर वार किये गए थे.”

आरोपियों के पक्ष में महापंचायतें

30 मई को सोशल मीडिया पर एक महापंचायत का विडियो वायरल हुआ. ये महापंचायतें आसिफ के आरोपियों को रिहा करने की मांग को लेकर आयोजित की गयीं थीं. वीडियो में करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीजेपी नेता सूरजपाल सिंह आमू मुसलामानों के खिलाफ बेहद आपत्ति जनक भाषा का प्रयोग करते सुनाई दे रहे रहे हैं. वह आसिफ खान की लिंचिंग को जायज़ क़रार देते हुए कहते हैं, “ये (मुसलमान) कोई भाई नहीं हैं, ये कसाई हैं, ये हमारी बहन बेटियों की फोटो वायरल करें और हम इन्हें मारें भी नहीं ?”

ये महापंचायतें मेवात के कई गांवों में हुईं जिनमें सोहना, कीरा, बडौली में छोटी-छोटी महापंचायतें हुईं. ये इंद्री गाँव में हुई बड़ी महापंचायत की तैयारियों के लिए की गईं थीं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इंद्री गाँव में हुई महापंचायत में 50 हज़ार लोग शामिल थे जो हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से आये थे.

हालांकि, मेवात के लोगों से जब हमने बात की तो उनका कहना था, “इंद्री गाँव की महापंचायत में कोई 5-7 हज़ार लोग रहे होंगे.”

आसिफ का परिवार इन महापंचायतों से स्तब्ध और दुखी है. आसिफ के चाचा मोहम्मद हनीफ कहते हैं, “ये लोग दंगे करवाना चाहते हैं, हिन्दू और मुसलामानों को लडवाना चाहते हैं, इनकी नज़र में यह मामला हिन्दू मुसलमान ही का है. इन्होने महापंचायत में पुलिस को भी चुनौती दी है लेकिन हम क्या कर सकते हैं.”

मोहम्मद हनीफ का कहना है कि, “ये लोग आसिफ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं. अगर किसी लड़की की विडियो या फोटो की बात है तो ये लोग सबूत पेश करें या फिर कोई आगे आकर ये कहे की ऐसा मेरी बेटी के साथ हुआ है. ये आसिफ का चरित्र हनन कर रहे हैं. अब किसी का मुंह तो बंद नहीं किया जा सकता.”

मोहम्मद ज़ाकिर, आसिफ के पिता

महापंचायत के बाद क्या बदला?

मेवात के कई गांवों में आरोपियों के पक्ष में हुई महापंचायतों के बाद मामला और अधिक सांप्रदायिक मोड़ ले चुका है. क्यूंकि महापंचायत में सीधे मुसलमान समुदाय के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया.

आसिफ के चचा मोहम्मद हनीफ़ कहते हैं, “महापंचायतें पुलिस पर दबाव बनाने के लिए की जा रही हैं और इसी दबाव में आकर पुलिस ने चार आरोपियों को रिहा किया है.”

उनका कहना है, “पुलिस ने महापंचायतों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया. ये अब मिली भगत से हुआ है.”

मोहम्मद हनीफ़ कहते हैं, “महापंचायत होने से पहले गांव के हिन्दू समुदाय की अन्य जातियों के लोग घर आकर मिलते थे, सांत्वना देते थे, लेकिन अब कोई नहीं आता, शायद वो डर गए हैं.”

इंडिया टुमारो से बात करते हुए वह आगे कहते हैं, “महापंचायत से पहले गाँव के सरपंच ने घर आकर सांत्वना दी थी, आश्वासन दिया था की वो उनके साथ खड़े हैं लेकिन अब वो वही भाषा बोल रहे हैं जो महापंचायत करने वाले बोल रहे हैं.”

आसिफ़ की शादी को 8 साल हो गए, उनके तीन बेटे हैं जिनकी उम्र 7 साल , 5 साल और एक अभी 7 महीने का है. आसिफ की मां कहती हैं, “मैं तो मां हूँ अपने बेटे के लिए अच्छा ही बोलूंगी, आप गाँव में किसी से भी जाकर मेरे बेटे के चरित्र के बारे में पूछ लीजिये, वो सब की मदद करता था, सबके काम आता था.”

आसिफ की माँ

मृतक आसिफ की माँ ने कहा कि, “मैंने अपने बेटे को कभी हाथ भी नहीं लगाया और हत्यारों ने मेरे बेटे को बहुत निर्दयतापूर्वक मारा. मेरा बेटा खूबसूरत था, उसका चहरा बिगाड़ दिया.” ये कहते हुए आसिफ की माँ रोने लगती हैं.

आसिफ़ के पिता का कहना है, “हम न्याय चाहते हैं, जिन लोगों ने मेरे बेटे की हत्या की है उन्हें फाँसी की सज़ा होनी चाहिए.”

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