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Thursday, April 25, 2024
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गोरखपुर: मंदिर सुरक्षा के नाम पर प्रशासन द्वारा मुस्लिम घरों को जबरन खाली कराने का आरोप

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर के पास मुसलमानों के 9 घरों को मंदिर की सुरक्षा का हवाला देकर कथित रूप से प्रशासन द्वारा खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है. पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया है कि सभी से जबरन ‘सहमति पत्र’ पर हस्ताक्षर करने को कहा जा रहा है. इससे सभी पीड़ित परिवार सदमे में हैं.

घर खाली करने के सहमति पत्र पर किसी भी सरकारी विभाग का नाम नहीं है. केवल ‘सहमति पत्र’ की हैडिंग के साथ मंदिर की सुरक्षा के लिए अपनी मर्ज़ी से घर खाली करने की बात लिखी गई है और परिवारों से दस्तख़त करने को कहा जा रहा है.

इंडिया टुमारो से पीड़ित परिवारों ने कहा है कि, “हमारी कोई सहमति नहीं है लेकिन कागज़ पर सहमति की बात लिख कर गलत बयानी की जा रही है. जब से घर खाली करने को कहा गया है हम बहुत परेशान हैं.”

हालांकि, गोरखपुर के जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पांडियन का कहना है कि परिवार अपनी सहमति से घर दे रहे हैं. इंडिया टुमारो से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, “आप ‘पत्रकार’ लोग मामले को बढ़ा रहे हो और इसे गलत रंग दे रहे हो. आईटी एक्ट के तहत आप पर कार्रवाई की जाएगी और NSA लगा दिया जाएगा.”

पीड़ित परिवार इस मामले में कितना डरे हुए हैं इस बात का अंदाज़ा इस से लगाया जा सकता है कि अपनी समस्या बताने के बाद पत्रकारों से नाम न ज़ाहिर करने कि अपील कर रहे हैं.

जिन मुसलमानों के घरों को खाली कराने के लिए सहमति पत्र दिया गया है उस ‘सहमति पत्र’ में लिखा है, “गोरखपुर मंदिर परिक्षेत्र में सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस बल की तैनाती हेतु शासन के निर्णय के क्रम में गोरखनाथ मंदिर के दक्षिण पूर्वी कोने पर ग्राम पुराना गोरखपुर तप्पा क़स्बा परगना हवेली तहसील सदर जनपद गोरखपुर स्थित हम निम्नांकित व्यक्ति अपनी भूमि व भवन को सरकार के पक्ष में हस्तांतरित करने के लिए सहमत हैं. हम लोगों को कोई आपत्ति नहीं है. सहमति की दशा में हम लोगों के हस्ताक्षर नीचे अंकित हैं.”

इंडिया टुमारो से बात करते हुए पीड़ित परिवार के इंतज़ार अहमद ने कहा कि, “हमें कोई नोटिस नहीं दी गई और अचानक एसडीएम द्वारा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा जा रहा. हमें न तो घर खाली करने का आधिकारिक आदेश दिया गया और न मुआवज़ा या अन्य किसी बिंदु पर अभी तक कोई लिखित आधिकारिक आश्वासन दिया गया है.”

एक और पीड़ित* व्यक्ति ने इंडिया टुमारो से कहा, “हमारा परिवार यहां 100-125 साल से रहते आए हैं, अचानक एक सादे से कागज़ पर चार लाइन के सहमति पत्र पर जबरन हस्ताक्षर कराकर हमें घर छोड़ने के लिए बाध्य किया जा रहा है.”

एक अन्य पीड़ित* परिवार ने कहा कि, “सौ साल से भी अधिक समय से हम यहाँ रहते आए हैं, कभी मंदिर की सुरक्षा के लिए ख़तरा नहीं बने तो आज अचानक मंदिर की सुरक्षा का हवाला देकर हमसे घर खाली क्यों कराया जा रहा है?”

इस सवाल पर कि अचानक प्रशासन द्वारा क्यों और क्या कहकर घर खाली कराया जा रहा है? पीड़ितों द्वारा जवाब दिया गया कि, “सुरक्षा का हवाला देकर पुलिस कैम्प बनाने की बात कही जा रही है.”

पीड़ितों के अनुसार 27 मई को सरकारी कर्मचारी आए और घर को नापने लगे और फिर चले गए. अगले दिन यानी 28 मई को फिर आए और घर खाली करने की बात कही. फिर एक मई को आए और सहमति पत्र देकर हस्ताक्षर करने को कहा. सभी परिवारों ने इस से असहमति जताई, हालांकि एक परिवार के मुखिया ने कथित रूप से दबाव में हस्ताक्षर कर दिया.

हालांकि इंडिया टुमारो से बात करते हुए उन्होंने इस गलती को स्वीकार करते हुए इसे दबाव में लिया जाने वाला फैसला बताया.

इंडिया टुमारो को पीड़ित परिवारों ने बताया कि, “आज बुधवार, 2 जून को एसडीएम और तहसीलदार के साथ अन्य कई सरकारी व प्रशासनिक अधिकारी घर आए और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया. मुआवज़े की बात करने पर कोई स्पष्ट जवाब न देते हुए शाम 4:30 बजे सभी 9 परिवारों को तहसील में बात करने के लिए बुलाया.”

सभी पीड़ित परिवारों ने आपसी सहमति से यह तय किया कि जब तक कोई सरकारी आदेश या नोटिस नहीं मिलेगा हम न तो कागज़ पर हस्ताक्षर करेंगे और न ही किसी मीटिंग का हिस्सा बनेंगे. इस फैसले के तहत सभी पीड़ित परिवारों ने आज की मीटिंग का बहिष्कार किया है.

गोरखपुर के जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पांडियन से जब इस सम्बन्ध में जानकारी ली गई तो उन्होंने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि, “जब परिवार अपनी सहमति से घर देने को तैयार हैं तो आप लोग क्यों अफवाह फैला रहे हैं? वो लोग सुरक्षा के लिए अपनी मर्ज़ी से दे रहे हैं.”

जिलाधिकारी ने कहा कि, “अगर इस प्रकार की अफवाह आप फैलाएंगे या न्यूज़ लिखेंगे और प्रकाशित करेंगे तो NSA लगा दिया जाएगा और सब जेल जाएंगे. हम तहरीर देने वाले हैं और सबका नाम एफआईआर में दर्ज करेंगे.”

हालांकि, एक 65 वर्षीय पीड़ित* ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “हमारी कोई सहमति नहीं है, यह बात प्रशासन झूठ कह रहा है. मैं अक्सर बीमार रहता हूँ और जब से घर खाली करने के बारे में मैंने सुना है मेरी तबीयत ख़राब है.”

एक अन्य पीड़ित ने बताया कि, “हमें तहसीलदार और अन्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी दी जा रही है.”

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी से जब इस सम्बन्ध में इंडिया टुमारो ने बात की और उनकी प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया तो उन्होंने घटना के बारे में जानकारी न होने की बात कही.

गोरखपुर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ज़ियाउल इस्लाम ने इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा कि, “इस बारे में बहुत कुछ नहीं कह सकता क्योंकि जो कागज़ वायरल हो रहा है उसमें सादे कागज़ पर लोगों से हस्ताक्षर लिया गया है, न किसी अधिकारी का नाम है और न किसी विभाग का, ऐसे में इसकी कोई वैधानिक हैसियत नज़र नहीं आती.”

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के माइनोरिटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने इस मामले में इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा कि, “यह पहली ऐसी घटना है जिसमें मुख्यमंत्री सीधे मुसलमानों की ज़मीन क़ब्ज़ा कर रहे हैं और वो भी मंदिर के नाम पर. जबकि यह मालूम होना चाहिए कि गोरखनाथ मंदिर की ज़मीन ख़ुद नवाब आसिफुद्दौला ने मंदिर को दान में दी थी.”

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि, “अभी तक तो भाजपा के नेता और मंत्री ज़मीन क़ब्ज़ा कर रहे थे और अब मुख्यमंत्री मंदिर के नाम पर मुसलमानों की ज़मीन कब्ज़ा कर रहे हैं जबकि मठ और मंदिर दान आदि की ज़मीन पर बना करते हैं. ऐसा करना न केवल अनैतिक और गैर क़ानूनी है बल्कि धर्म के भी विरुद्ध है.”

गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता मित्र प्रकाश ने इस मामले में इंडिया टुमारो से बात करते हुए घटना को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि यदि कहीं भी अन्याय होता है वह ग़लत है.

____

*पीड़ितों की सुरक्षा हेतु उनके नाम गोपनीय रखे गए हैं.

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