इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | देश के विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों और धर्मगुरुओं ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कोरोना महामारी के दौरान देश में उत्पन्न संकट की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया है. प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में धर्मगुरुओं द्वारा सरकार को इस महामारी में हर संभव मदद का प्रस्ताव भी रखा गया है.
प्रधानमंत्री एवं विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर एक भयानक सुनामी साबित हुई. पत्र में इस बात का भी ज़िक्र किया गया है कि दूसरी लहर के सामने हमारी व्यवस्थाएं और स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा बड़ी हद तक बेबस और लाचार नज़र आया.
पत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों की मौत के मुद्दे को भी उठाया गया है.
पत्र में कहा गया है कि, स्वास्थ्य सम्बंधित मूल सुविधाओं का संकट वास्तव में चिंताजनक था. सरकारी तंत्र, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों के अथक प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में मौंतें हुईं.
धर्मगुरुओं ने कहा है कि, “सामजिक एवं धार्मिक संगठनों व आम लोगों ने भी हर संभव सहायता पहुंचाना अपना दायित्व समझा. धर्मगुरुओं का मानना है कि इससे बड़ी चुनौतियां जो तीसरी लहर के रूप में आगे आने वाली हैं जैसे, ब्लैक फंगस, व्हाइ्ट फंगस आदि का सामना सरकार, सामाजिक व धार्मिक संगठन और आम जनता मिल कर ही कर सकते हैं.”
आगे पत्र में कहा गया है, इससे पहले, ‘कोराना महामारी की आपदा: धर्मगुरुओं का देश के नाम संदेश’ विषय पर एक ऑनलाइन प्रेस कान्फ्रेंस भी आयोजित की गई थी. जिसमें धर्मगुरुओं, जनता और सरकार के दायित्व पर विस्तार से चर्चा हुई थी. धर्मगुरुओं ने बताया कि सभी धर्मों के लोगों एवं संस्थाओं ने बिना किसी भेद-भाव के मानव सेवा को अपना धर्म समझा. यही भारत देश की वास्तविक पहचान एवं शक्ति है. आपसी प्रेम और सहानुभूति के इन उदाहरणों ने समाज में आपसी विश्वास के वातावरण को सुदृढ़ किया है.
पत्र में सुझाव भेजा गया है कि, यदि प्रधानमंत्री उचित समझे तो विभिन्न धर्माचार्यों और समाज सेवी संगठनों के साथ संवाद व विचार विमर्श के लिए शीघ्र ही एक ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन करें. पत्र में केंद्र व राज्य सरकारों से अपील की गई है कि उन्हें चाहिए कि आपदा की ऐसी परिस्थितियों में समाजिक एवं धार्मिक संगठनों, धर्माचार्यों व समाज सेवियों से संवाद व सलाह मश्विरा की प्रक्रिया को प्रभावी बनायें ताकि सभी मिलकर इन चुनौतियों का सामना कर सकें.
यह मांग भी की गई है कि, आपदा की इस भयानक परिस्थिति में दवाइयों व स्वास्थ उपकरणों के ग़ैर-क़ानूनी भंडारण और कालाबाज़ारी को सख्ती से नियंत्रित किया जाना चाहिए और ऐसे अपराधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून व हत्या जैसे अपराधिक क़ानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. देश के हर नागरिकों को निःशुल्क टीका लगाया जाए. बीमारों का निःशुल्क इलाज हो.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह मांग की गई है कि, “बेरोज़गार हुए प्रभावित परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचायी जाए. जिन परिवार के एक मात्र आर्थिक स्त्रोत थे और इस महामारी में जिनकी मृत्यु हो गयी उनके परिजनों को उचित मुआवज़ा दिया जाए. इन हालात से सबक़ लेते हुए हमें सरकारी स्वास्थ सुविधाओं को कई गुना बढ़ाने पर कार्य शुरू किया जाना चाहिए और हमारे वार्षिक बजट में स्वास्थ का बजट सकल घरेलू उत्पाद को 6 प्रतिशत तक करने में अब और विलम्ब नहीं करना चाहिए.
प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में सभी धर्गुरुओं ने हस्ताक्षर किया है. हस्ताक्षर करने वालों में:
हस्ताक्षरकर्ताः
• महाऋषि पीठाधीश्वर, गोस्वामी सुशील जी महाराजए राष्ट्रीय संयोजक, भारतीय सर्व धर्म संसद
• स्वामी वीर सिंह हितकारी, अध्यक्ष अखिल भारतीय रविदासीय धर्म संगठन
• डॉ. ए. के. मर्चेंट, राष्ट्रीय ट्रस्टी व सचिव, लोटस टेम्पल एवं भारतीय बहाई समुदाय
• रब्बी एज़ेकिएल इज़ाक, मालेकर, प्रीस्ट, जूजाह हयाम, सिनेगोग दिल्ली
• सिंह साहिब ज्ञानी रणजीत सिंह, मुख्य ग्रंथी गुरुद्वारा बंगला साहिब, नई दिल्ली
• आचार्य विवेक मुनि, अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय महावीर जैन मिशन
• प्रोफेसर सलीम इन्जीनियर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, जमाअत इस्लामी हिन्द
• गलता पीठधीश्वर अनन्त श्री विभूषित, श्री स्वामी सम्पत कुमार अवधेशाचार्य जी महाराज
• आचार्य प्रमोद कृष्णम, श्री कल्की पीठाधीश्वर, श्री कल्की धाम संगठन
• स्वामी शानतात्मानन्द, अध्यक्ष, रामकृष्णा मिशन, दिल्ली केन्द्र