अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ । अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोरोना की चपेट में है। कोरोना के कारण यहां दहशत का माहौल है। विश्वविद्यालय में 20 दिनों में डेढ़ दर्जन से अधिक प्रोफेसर्स की मौत हो गई है। इन मौतों से चिंतित होकर विश्वविद्यालय के कुलपति ने सीएसआईआर इंस्टीट्यूटऑफ जीनोमिक्सएंड इंटीग्रेटिवबायोलॉजी, नई दिल्ली को एक पत्र लिख कर इसकी जाँच कराये जाने की मांग की है।
प्रसिद्ध शिक्षाविद सर सैयद अहमद ने अलीगढ़ में 1875 में मोहम्मद ऐंग्लो ओरियंटल कॉलेज की स्थापना की थी। यही कॉलेज आगे चलकर कालांतर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। यह उत्तर भारत में मुस्लिम शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र बना। इस विश्वविद्यालय से तालीम हासिल कर बहुत से छात्रों ने प्रशासनिक सेवा में और राजनीतिक क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर इस विश्वविद्यालय का मान भी बढ़ाया है। किंतु कोरोना महामारी ने इस विश्वविद्यालय को भी अपनी चपेट में ले लिया है। कोरोना से यहां दहशत का माहौल है।
पिछले लगभग 20 दिनों में यहां डेढ़ दर्जन से अधिक प्रोफेसर्स की कोरोना से मौतें हो गई हैं। जिन प्रोफेसर्स की मौतें हुई हैं, वे अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध विद्वान थे। उनकी गिनती उनके विषय में माहिर लोगों के रूप में होती थी। लेकिन कोरोना महामारी से वे सभी एक-एक कर दुनिया से विदा हो गए। इन प्रोफेसर्स की मौत से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में लोग गज़दा हैं। यहां पर रहने वाले लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं।
यहां पर कोरोना से जिन प्रोफेसर्स की मौतें हुई हैं, उनमें प्रमुख लॉ “कानून” फैकल्टी के डीन प्रो० शकील समदानी, पूर्व प्राक्टर प्रो० जमशेद सिद्दीकी, सुन्नी थियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो० अहसानुल्लाह फ़हद, उर्दू के प्रो० मौलाना बख्श अंसारी, पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजीनियरिंग के प्रो० मो० अली खान, राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो० काज़ी मोहम्मद जमशेद, मोलीजात विभाग के चेयरमैन प्रो० मो० यूनुस सिद्दीकी, इलमुल अदविया विभाग के चेयरमैन गुफरान अहमद, मनोविज्ञान विभाग के चेयरमैन प्रो० साजिद अली खान, म्युजियोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. मोहम्मद इरफान, सेंटर फॉर वीमेंस स्टडीज़ के डॉ. अज़ीज़ फैसल, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक के मो० सैयदुज्ज़मा, इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर जिबरैल, संस्कृत विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो० खालिद बिन यूसुफ, अंग्रेजी के डॉ. मोहम्मद यूसुफ अंसारी हैं।
कोरोना से इनकी हुई मौतों की पुष्टि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रवक्ता साफे किदवई भी करते हैं। वे कहते हैं कि यह समय बड़ा ही कठिन है। धैर्य से काम करने की ज़रूरत है। यही नहीं इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पूर्व में काम कर चुके दर्जनों लोग भी कोरोना से मर गए हैं। इनकी गिनती इसमें नहीं है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर इतनी संख्या में एक -एक कर विद्वान शिक्षाविदों के दुनिया से अचानक चले जाने से बहुत ही चिंतित हैं। उन्होंने इस संबंध में सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, नई दिल्ली को एक पत्र लिखकर इस मामले की जाँच करने की मांग की है।
इसके अलावा प्रो० तारिक मंसूर ने आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(आई सी एम आर) के महानिदेशक प्रो० बलराम भार्गव को भी एक पत्र लिखकर इस मामले की जाँच कराने की मांग की है। उन्होंने प्रो०बलराम भार्गव को पत्र लिखकर कहा है कि, विश्वविद्यालय और उसके आसपास के वातावरण में वायरस के स्वरुपों की जांच कराने का अनुरोध किया है। जिससे इस बात का पता चल सके कि कोरोना का नया स्वरूप तो अलीगढ़ विश्वविद्यालयऔर उसके आसपास तो नहीं विकसित हो रहा है। अगर ऐसा पता लगता है तो हम उसके उन्मूलन के उपायों पर तुरंत अमल करें।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो०तारिक मंसूर विश्वविद्यालय और उसके आसपास कोरोना की रोकथाम के लिए बेहद सतर्क हैं। वे इसको रोंकने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा कर इस पर लगातार मंथन कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर विश्वविद्यालय और आसपास के क्षेत्र में वे कोरोना को रोंकने में कामयाब हो जाते हैं तो वह अलीगढ़ में कोरोना को और अधिक फैलने से रोंकने में सफलता मिलेगी।