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Friday, March 29, 2024
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धार्मिक जनमोर्चा की बैठक में धर्मगुरुओं ने कहा, आपदा में सेवा कर नफरत पर विजय प्राप्त करें

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | कोरोना महामारी के इस संकट काल में धार्मिक जनमोर्चा के तत्वावधान में शनिवार को एक ऑनलाइन वेबिनार “कोरोना महामारी की आपदा और धर्मगुरुओं का देश के नाम संदेश” के विषय पर आयोजित किया गया जिसमें देशभर के विभिन्न धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया और अपने विचार व्यक्त किए.

धार्मिक जनमोर्चा द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम कोरोना के इस संकट काल में धर्मगुरुओं की सकारात्मक भूमिका को निर्धारित करने, लोगों का आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने, समाज को साहस और धैर्य का संदेश देने तथा मज़बूती के साथ संकट की स्थिति का मुक़ाबला करने के लिए सुझाव और विमर्श के लिए आयोजित किया गया था.

इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों में मुख्य रूप से गोस्वामी सुशील जी महाराज, नेशनल कन्वेनर: भारतीय सर्व धर्म संसद, आचार्य प्रमोद कृष्णन, श्री कल्कि पीठाधीश्वर, कालकी धाम ऑर्गनाइज़ेशन, हुसैन बहन – ब्रह्माकुमारी, श्री स्वामी संपत कुमार जी, आचार्य विवेक मुनि जी- जैन धर्म- प्रेसिडेंट:इंटरनेशनल महावीर जैन मिशन, स्वामी शांतात्मानंद, रामकृष्ण मिशन के दिल्ली केंद्र के प्रमुख, डॉ. ऐ के मर्चेंट, नेशनल ट्रस्टी- बहाई कम्यूनिटी ऑफ इंडिया, स्वामी वीर सिंह- चेयरमैन ऑल इंडिया रविदासीय धर्म संगठन, फादर थॉमस- फाउंडर डायरेक्टर ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ हार्मोनी एंड पीस स्टडीज़, दिल्ली, इंजीनियर मोहम्मद सलीम- उपाध्यक्ष जमाअत इस्लामी हिन्द मौजूद रहे.

कार्यक्रम में बोलते हुए गोस्वामी सुशील जी महाराज, नेशनल कन्वेनर भारतीय सर्व धर्म संसद ने कहा कि, “कोरोना ने विकराल रूप ले लिया है और हर दिन लोगों के मृत्यु की ख़बर दुख दे रही है. स्थिति इतनी गंभीर है कि शवों को कंधा देने वाला कोई नहीं है.”

उन्होंने कहा कि, “समय आगया है कि आध्यात्म के माध्यम से लोगों को ईश्वर से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए. कई घटनाओं में देखने को मिल रहा है कि घर के लोग अपनों की मौत पर उन्हें छोड़कर भाग रहे हैं मगर उनके पड़ोसी जो अन्य धर्म के हैं लोगों की मदद कर रहे हैं जो सराहनीय है.”

गोस्वामी सुशील जी ने कहा की, “समय आगया है कि हमें आगे बढ़कर लोगों की मदद करना होगा और किसी का धर्म देखे बिना लोगों की सेवा के लिए समर्पित होना होगा.”

रामकृष्ण मिशन, दिल्ली केंद्र के प्रमुख स्वामी शांतात्मानंद ने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, “हमें शारीरिक रूप से मज़बूत रहने की ज़रूरत है. साथ ही हमें लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए.”

उन्होंने कहा कि, “यह हमारी लापरवाही है कि यह महामारी इतनी ज़्यादा फैल गई, हमने पहले ही इसका ख़याल किया होता तो शायद स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं होती.”

स्वामी शांतात्मानंद ने कहा कि, “हम सभी धार्मिक समूहों को यह बताना चाहिए कि लोग जागरूक रहें,”

आचार्य प्रमोद कृष्णन, ने अपनी बात करते हुए कहा कि, “हम इस कठिन समय में क्या कर सकते हैं इस पर विचार करना चाहिए. हम क्या कर सकते हैं वो सभी कर रहे हैं मगर सवाल यह है कि सरकार क्या कर रही है. हम आप जो भी कर सकते हैं अपने-अपने स्तर से कर रहे हैं मगर सरकार क्यों नहीं कर रही. सरकार के पास व्यवस्था है, साधन है संसाधन है. हम सभी मिलकर सरकार से एक निवेदन करें कि सरकार गंभीरता से कुछ करे.”

उन्होंने कहा कि, “सरकार मानव जीवन को बचाने के लिए क्या कर रही है? मनुष्य भयभीत है, उसे सही मार्गदर्शन चाहिए. लॉकडाउन अगर ज़रूरत है तो क्यों नहीं लगाया जाता? अगर जीवन ही नहीं होगा तो हम क्या करेंगे? जीवन अमूल्य है, महत्वपूर्ण है उसकी क़द्र करनी चाहिए?”

आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा, “हम सभी को मिलकर सरकार से यह निवेदन करना चाहिए कि वो पूर्ण लॉकडाउन करे ताकि लोगों की जान बच सके. हो सकता है कि सरकार गंभीर हो मगर ऐसा दिख नहीं रहा है.”

इस बात पर ज़ोर देते हुए आचार्य प्रमोद ने कहा, “सरकार से कहा जाए कि बड़े-बड़े धार्मिक स्थल हैं उनके पास जगह भी है, उसे कोविड अस्पताल बना दिया जाए. मेरा सुझाव है कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाए कि वो लॉकडाउन लगाएं.”

उन्होंने कहा, “जितने भी राजनीतिक लोग हैं वह धर्मगुरुओं को बदनाम करना चाहते हैं और यह नहीं चाहते कि देश के सभी धर्मों के लोग एक साथ आएं. हिंदुस्तान में केवल मुस्लिम धर्मगुरुओं की ज़िम्मेदारी नहीं है धार्मिक एकता की बात करने की बल्कि हिन्दुओं की भी और सरकारों की भी है.”

ब्रह्माकुमारी से हुसैन बहन ने इस वेबिनार में बोलते हुए कहा, “इस महामारी में लोगों की चिंताएं बढ़ रही हैं इसलिए हमें अध्यात्मिक शांति की ज़रूरत है. हमें लोगों को बचाने की ज़रूरत है. धैर्य और शांति की तरफ आने की ज़रूरत है. लोग परेशान हैं. लोगों को आध्यात्मिक रास्ते पर लाने की ज़रूरत है.”

श्री स्वामी संपत कुमार जी ने कहा, “पूरे संसार के लोगों का दुख जिसके हृदय में हो वही मानव है. धर्म के नाम पर लोगों को टकराव से बचना चाहिए. विश्वबंधुत्व के विचार को स्थापित करना होगा और यह काम धर्मगुरु ही करेंगे.”

उन्होंने कहा, “हमसे कोई न कोई भूल हुई है जिसका ख़ामियाज़ा आज मानव समाज भोग रहा है. हम स्थाई नहीं रह सकते इस दुनिया में लेकिन इसे बेहतर बनाना समय की आवश्यकता है. जिस प्रकार जमाअत इस्लामी लोगों को एकता की तरफ ला रही है उसी प्रकार हम हिन्दू समाज को भी कहूँगा कि एक होकर मानव सेवा में लग जाएं.”

ईज़ाक मालेकर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, “सबसे पहले हमें अपने डर को कम करना होगा. शांति और धैर्य के साथ बीमारी का मुक़ाबला करना है.”

शवों के अंतिम संस्कार को सम्मानजनक तरीके से करने का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा, “संविधान कहता है कि हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. आज कोविड से जो लोग मर रहे हैं उनके अंतिम संस्कार में उसे सम्मान नहीं मिल रहा है. शमशान और कब्रिस्तान में लोगो के शवों को अंतिम सम्मान ठीक प्रकार से नहीं दिया जा रहा.”

गुरुद्वारा बंगला साहेब के ज्ञानी रंजीत सिंह जी ने अपनी बात साझा करते हुए कहा कि, “हम धार्मिक धर्मगुरुओं को एक होकर इस महामारी का मुकाबला करना चाहिए. यह कोरोना धर्म देख कर नहीं आता. यह मौत का तांडव है जो हर घर में है.”

उन्होंने कहा कि, “इस धार्मिक जनमोर्चा को और भी मज़बूत होना चाहिए ताकि लोगों की अधिक से अधिक सहायता की जा सके और जागरूक किया जा सके.”

ज्ञानी रंजीत सिंह ने कहा कि, “इस महामारी में हमें एक होकर लोगों की ज़्यादा से ज़्यादा मदद करना चाहिए. हमें सरकार से भी कहना चाहिए कि इस संकट काल में हम उनके साथ खड़े हैं.”

जैन धर्म के आचार्य विवेक मुनि जी ने कहा कि, “आज पूरा विश्व और हमारा देश कोरोना से पीड़ित है. इस महामारी में हमें संयम और धैर्य के साथ रहने की आवश्यकता है. हमें इस महामारी से बचने के लिए उन सभी गाइडलाइन को फॉलो करना चाहिए जो स्वास्थ्य संगठनों द्वारा सुझाए गए हैं.”

उन्होंने कहा, “हमें ईश्वर से प्रार्थना करना चाहिए कि इस संकट से निजात मिले जो हम देख रहे हैं. साथ ही हमें सरकार से मिलकर यह बात पहुंचानी चाहिए.”

डॉ. ऐ के मर्चेंट, नेशनल ट्रस्टी- बहाई कम्यूनिटी ऑफ इंडिया ने कहा कि, “समस्त पृथ्वी एक देश है और हम सब उसके नागरिक हैं. धर्मों की शक्ति को विज्ञान की शक्ति से जोड़ दिया जाए तो विश्व में प्रगति का एक पथ तय होगा. हमें एक जुट होकर इस महामारी का मुक़ाबला करना होगा.”

स्वामी वीर सिंह- चेयरमैन ऑल इंडिया रविदासीय धर्म संगठन ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए इस महामारी से मिलकर लड़ने की बात कही.

फादर थॉमस- फाउंडर डायरेक्टर ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ हार्मोनी एंड पीस स्टडीज़, दिल्ली ने अपनी बात साझा करते हुए कहा, “कोरोना महामारी ने बहुत तबाही मचाई है. इंसान धर्म, राजनीति, जाति क्षेत्र, पार्टी और दुसरे अन्य नामों से विभेद पैदा किया और फर्क किया लेकिन इस कोरोना ने किसी से भी कोई फर्क नहीं किया. हमें एक सीख भी मिली है. हमें इस महामारी से यह सीख मिली है कि हमें पर्यावरण की रक्षा करनी है और साफ सफाई करनी है.”

उन्होंने कहा, “हम इंसान की हैसियत से बहुत विकास कर गए हैं लेकिन समाज संकुचित हो रहा है. विकास होना चाहिए लेकिन आवश्यक चीज़ें भी हों. प्राथमिकतायें निर्धारित हों, लोग मर रहे हैं. हमने विकास के क्षेत्र में बुनियादी ज़रूरतों पर तवज्जो नहीं दे सके. आज यह बातें साफ़ तौर पर दिख रही हैं कि हमने विकास का सही मार्ग तय नहीं किया.”

आर्ट ऑफ लिविंग के प्रतिनिधि ने कहा कि, “देश में जब भी आपदा आई है तो धर्मगुरुओं ने ही इस देश की रहनुमाई की है. आज भी इस महामारी में हम बहुत कुछ कर सकते हैं. इस महामारी में लोग परेशान हैं, हम अपने आस-पास लोगों की काफी मदद कर सकते हैं.”

इस वेबिनर के अंत में सभी वक्ताओं को धन्यवाद करते हुए प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इन्जीजियर ने सभी धर्मगुरुओं का आभार प्रकट किया.

उन्होंने कहा, “सबने अपना बहुमूल्य समय भी दिया और बहुमूल्य बातें भी कहीं. सभी धर्मगुरुओं ने जो सुझाव दिया है उसपर कार्य करने की पूरी कोशिश किया जाएगा. प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का सुझाव हो या धर्म स्थलों की ज़मीन पर बीमार लोगों के इलाज की सुविधा का.

प्रो. मोहम्मद सलीम ने कहा कि, “हमें अपने आस-पास लोगों की मदद करना चाहिए, सभी धर्मगुरुओं की बातों का सार यही है. जो बीमार हैं उनका इलाज करें, सरकार को ध्यान दिलाएं. सेवा के द्वार खोल दें.”

उन्होंने तीन बातों की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “कुछ बातें आध्यात्मिक प्रकृति कि हैं जैसे, ईश्वर से माफ़ी मांगे, इस बीमारी से मुक्ति की प्रार्थना करें. ईश्वर इस बीमारी से हमें कुछ सीख देना चाहता है. इसलिए हम व्यक्तिगत रूप से आत्मावलोकन करें कि कहाँ हसे गलती हुई है, निजी जीवन में हमारा किरदार कैसा है और सामूहिक रूप से समाज में हमारा बर्ताव कैसा है.”

प्रो. सलीम ने कहा कि, “हम ईश्वर से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगे. ये चिंतन हम व्यक्तिगत भी करें, सामजिक चिंतन भी करें और सरकार को भी अपना आत्म चिन्तक करने की ज़रूरत है कि क्या वो कर्तव्य ठीक प्रकार से निभा रहे हैं. क्या सरकारें न्याय कर पा रही हैं? क्या सरकारों के द्वारा लोगों को साताया जा रहा है? यदि ऐसा है तो हैं इसका पश्चाताप करना होगा. इस संकट काल में हमें इन बातों पर भी विचार करना होगा.”

आपदा को सेवा का अवसर बताते हुए उन्होंने कहा, “इस आपदा में सेवा का भी मौका है और हम सेवा के माध्यम से नफरत पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि, “जब हम दूसरों को छोटा समझने लगते हैं तो ईश्वर हमसे नाराज़ हो जाता है. हमें आगे कुछ और रचनात्मक करने का सोचना होगा.”

इस कार्यक्रम का संचालन लईक अहमद ख़ान ने किया.

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