जमाअत इस्लामी हिंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है जिसमें नागरिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और धार्मिक संगठनों की बैठक बुलाने और उन्हें कोविड-19 संकट के खिलाफ लड़ाई में शामिल कर महामारी से निपटने की अपील की गई है. क्योंकि संकट की गंभीरता को देखते हुए जमाअत इस्लामी को लगता है कि सरकार अकेले इस संकट से नहीं निपट सकती है.
इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | देश के प्रमुख मुस्लिम सामाजिक-धार्मिक संगठन जमाअत इस्लामी हिंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में नागरिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों और गैर-सरकारी संस्थाओं को शामिल करें क्योंकि इस महामारी ने देश में भयानक रूप ले लिया है और प्रतिदिन 3000 से अधिक लोगों की जानें जा रही हैं और हेल्थ सिस्टम का बुनियादी ढ़ांचा इस संकट से निपटने में विफल है.
यह जानकारी जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सआदतुल्ला हुसैनी ने सोमवार को आयोजित एक वर्चुअल प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दी.
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी ने ऑनलाइन प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि, जमाअत ने भारत के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है और कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है.
उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, “पत्र के माध्यम से, जमाअत इस्लामी ने पीएम से अनुरोध किया है कि वे देश में व्याप्त गंभीर स्थिति पर चर्चा करने के लिए सभी धार्मिक-सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवी समूहों की बैठक (ऑनलाइन / ऑफ़लाइन) बुलाएं ताकि लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए विभिन्न साधनों और विकल्पों पर चर्चा हो.”
प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि, “यदि सरकार देश में कोरोना के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए सामाजिक, धार्मिक संगठनों के साथ काम करती है, तो बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं.”
संकट के समय में सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार : जमाअत
जमाअत प्रमुख ने कहा कि, “जमाअत इस्लामी हिंद, सरकार और नागरिक समाज के द्वारा किए जा रहे प्रयासों में प्रत्यक्ष रूप से अपने समर्थन और सेवाओं के लिए हमेशा तैयार है.”
उन्होंने कहा कि, “सभी प्रयासों और वैज्ञानिक उपायों को अपनाने के साथ, हमारा मानना है कि हमें ऐसी आपदाओं के आध्यात्मिक और नैतिक पहलू को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है. हम ईश्वर के सामने ईमानदारी से पश्चाताप करें और अपने व्यवहार में ईमानदारी, न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हों.”
हुसैनी ने अपने पत्र में कहा, “संकट की गंभीरता को देखते हुए, हमें लगता है कि हम सभी को एक दूसरे से परामर्श करना चाहिए और कई मुद्दों पर हमारी अलग राय होने के बावजूद एक साथ मिलकर काम करना चाहिए.”
जमाअत इस्लामी ने कहा कि, “स्वास्थ्य सेक्टर में अधिकतम बजट आवंटित करके इस भयावह खतरे को कम किया जा सकता है.”
इस ऑनलाइन प्रेस वार्ता के आरम्भ में जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि, “इस समय पुरे देश में कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है और इसमें बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं जिसको रोकने के लिए सरकार और अवाम के ज़रिये पूरी कोशिश जारी है लेकिन कोई महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है. सरकार और सार्वजनिक दोनों स्तरों पर एक साथ काम करके इसे और बेहतर बनाने की आवश्यकता है.”
उन्होंने यह भी कहा कि, “जमाअत इस्लामी हिन्द अपने सीमित संसाधनों के साथ देश भर में काम कर रही है और जहां ज़रूरत है वहां अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है. सरकार के पास अधिक संसाधन हैं इसलिए वह गैर-सरकारी संगठनों के साथ ठोस और बेहतर काम कर सकती है.”
नैतिक समीक्षा की आवश्यकता: प्रो. मोहम्मद सलीम इंजीनियर
प्रो. मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि, “इस महामारी में हमें सावधानी से कदम उठाने होंगे और साथ ही अपने नैतिक समीक्षा की भी आवश्यकता है.
हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि, “इन परिणामों ने साम्प्रदायिकता और नफरत को नकारते हुए लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को कामयाब किया है.”
ऑनलाइन पत्रकार वार्ता को जमाअत इस्लामी के राष्ट्रीय सचिव मलिक मोतसिम खान ने भी संबोधित किया.
उन्होंने संकट के इस समय में जमाअत के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि, “देश भर में पीड़ितों को चिकित्सा सहायता और एम्बुलेंस सहित, कई शहरों में हेल्पलाइन और डॉक्टरों के फोन नंबर की एक सूची जारी की गई है ताकि घर बैठे उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके.
मलिक मोतसिम ख़ान ने बताया कि, “जहां रोगियों की ऑक्सीजन तक पहुंच नहीं है, उन्हें ऑक्सीजन की सुविधा और उसकी जानकारी उपलब्ध कराने में मार्गदर्शन किया जा रहा है.”
उन्होंने बताया कि, “कुछ स्थानों पर ऑक्सीजन स्टेशन भी स्थापित किया गया है. इसके अतिरिक्त मरीज़ों, प्रभावितों और मृतकों के परिजनों को भी परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है. ऐसे मौके पर उनकी विशेषज्ञों के ज़रिये काउंसलिंग कराई जाती है.”
जमाअत ने सामाजिक जागरूकता बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है जैसे कि मास्क पहनना, बाहर और मस्जिदों में शारीरिक दूरी बनाए रखना आदि.