मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | नए कृषि क़ानूनों के विरोध में पिछले 50 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. हर दिन किसानों को समर्थन देने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठन दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर पहुँच रहे हैं. गुरुवार को पंजाब के एक मात्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मलेरकोटला से मुस्लिम महिलाओं का एक समूह किसानों के समर्थन में दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पहुंचा.
मलेरकोटला से टिकरी बॉर्डर पहुंचे मुस्लिम महिलाओं के इस समूह में लगभग 30 महिलाएं और युवतियां शामिल थीं. इन महिलाओं ने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पहुँच कर भारतीय किसान यूनियन (एकता, उग्रहा) की महिला नेता हरिंदर बिन्दु से मुलाक़ात कर उनके साथ एकजुटता दिखाई.
कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन देने मलेरकोटला से दिल्ली पहुंचे मुस्लिम महिलाओं के समूह ने कहा कि हम आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हैं और इस लड़ाई में उनके साथ हैं.
ऐसे समय में जब किसानों के इस आन्दोलन को तोड़ने और खत्म करने के लिए इसे एक वर्ग विशेष का प्रदर्शन या एक खास सम्प्रदाय के लोगों के ही प्रदर्शन में शामिल होने की बातें कही जा रही हैं, इन मुस्लिम महिलाओं का प्रदर्शन में शामिल होना एक सकारात्मक सन्देश देता है.
मलेरकोटला से टिकरी बॉर्डर पहुंची इन मुस्लिम महिलाओं ने किसानों के प्रदर्शन में हिस्सा लिया और इन महिला प्रतिनिधियों में शगुफ़्ता व नजमा ने मंच से अपने विचार भी साझा किए. इन महिलाओं के साथ प्रदर्शन में आई बच्चियों ने प्रतिरोध के गीत गाए और किसानों के समर्थन में नारे लगाए.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए इस समूह की अगुवाई कर रहे इश्तियाक़ रशीद ने बताया कि अधिकतर महिलाएं जमाअत इस्लामी पंजाब की महिला विंग से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं के साथ आई लड़कियां जमाअत इस्लामी हिन्द की गर्ल्स विंग (GIO) की सदस्य हैं.
टिकरी बॉर्डर पर इन महिलाओं ने नमाज़ भी अदा की और नमाज़ के लिए किसानों ने उन्हें उचित स्थान दिया और उनकी सुरक्षा और सम्मान में खड़े भी रहे.
प्रदर्शन स्थल पर महिलाओं के नमाज़ पढ़ने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और लोग इसे असल हिंदुस्तान कहते हुए एकता, सहिष्णुता, प्रेम, शांति और सहयोग की संज्ञा दे रहे हैं.
ज्ञात हो कि किसानों की मांगों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के आठ दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला है. किसान क़ानून वापसी की मांग कर रहे हैं और सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने पर अड़ी है.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कृषि क़ानूनों पर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान एक कमेटी बनाई थी जिसे किसानों ने सुप्रीम कोर्ट के सम्मान के साथ कमेटी मेंबर्स को सरकार समर्थक बताते हुए नकार दिया. हालाँकि गुरुवार को कमेटी के एक मेंबर भूपेन्द्र सिंह मान ने अपना नाम वापस लेते हुए किसानों के साथ खड़े होने की बात कही है.