इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | दिल्ली और देशभर में नए कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के प्रदर्शन को समर्थन करते हुए जमाअत इस्लामी हिन्द ने किसानों के शांतिपूर्ण आन्दोलन को बदनाम करने की साज़िश की निंदा की है. साथ ही किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए जमाअत इस्लामी हिन्द ने सरकार से किसानों की क़ानून वापसी और अन्य मांगो पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है.
शनिवार को दिल्ली स्थित जमाअत इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में जमाअत ने मीडिया से बात करते हुए ये बातें साझा की हैं.
जमाअत इस्लामी हिन्द ने प्रेस वार्ता में किसानों के मुद्दों के साथ-साथ बाबरी मस्जिद गिराए जाने के 28 सालों बाद भी आरोपियों को सज़ा न मिलने, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में लव जेहाद के नाम पर बनाए गए क़ानूनों द्वारा संविधान द्वारा दी गई धर्म और जीवनसाथी चुनने की आज़ादी को छीनने, और हाल ही में करप्ट देशों की सूची में भारत को पहले स्थान पर बताए जाने पर चिंता जताई है और प्रेस वार्ता में इन मुद्दों को मुख्य रूप से उठाया है.
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “नए कृषि क़ानूनों को लेकर देश के किसानों में असंतोष है और उन्हें अपनी फसल का सही मूल्य न मिलने और पूंजीपतियों के हाथों में चले जाने की आशंका उन्हें प्रदर्शन करने पर मजबूर कर रही है. सरकार को उनकी मांगो पर विचार करना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा किसानों की फसल जमाखोरों के हाथ में लगने से बचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए और इमानदार नीति और प्रयासों से इसे सुनिश्चित भी किया जाना चाहिए.”
जमाअत उपाध्यक्ष, मोहम्मस सलीम इंजीनियर ने किसानों और किसान संगठनों से आन्दोलन को संवैधानिक और शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील भी की है.
बाबरी मस्जिद गिराए जाने के 28 साल बीत जाने के बाद भी बाबरी विध्वंस के आरोपियों को सज़ा न मिलने और उन्हें राजनितिक पुरस्कार और पद दिए जाने की जमाअत इस्लामी हिन्द ने कड़े शब्दों में निंदा की है.
मोहम्मद सलीम ने कहा, “बाबरी के आरोपियों को सज़ा तो नहीं मिली बल्कि उनको राजनीतिक उपहार ज़रूर दिया गया. सभी साक्ष्यों के होने के बाद भी वो सभी आरोपी बरी हैं और भीड़ को उकसाने वालों को हमारा सिस्टम सज़ा देने में असमर्थ रहा.”
उन्होंने कहा, “साक्ष्यों के बावजूद बाबरी गिराने के आरोपियों का बरी हो जाना देश की एक बड़ी आबादी में न्याय व्यवस्था में अविश्वास पैदा करेगा.”
लव जिहाद को लेकर बनाए गए क़ानून को लेकर जमाअत ने पहले तो इसके नाम और टर्म पर ही आपत्ति जताई है.
जमाअत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इं. मोहम्मद सलीम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “दो वयस्क लोग अपनी मर्ज़ी का धर्म चुनने और अपनी मर्ज़ी का जीवनसाथी चुनने का अधिकार रखते हैं. संविधान इसकी आज़ादी प्रदान करता है. ऐसे में क़ानून द्वारा रोका जाना निजी स्वतंत्रता पर प्रहार है.”
मोहम्मद सलीम ने उत्तर प्रदेश में पिछले हफ्ते लव जिहाद के नाम पर घटित एक घटना को उदाहरण देते हुए कहा कि, “सरकार और उसकी मशीनरी द्वारा इस क़ानून का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है और 2 दिन पहले इस तरह का मामला उत्तर प्रदेश में देखने को मिला है.”
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ग़लत सूचना पर एक शादी समारोह से मुस्लिम दुल्हे को पुलिस थाने उठा ले गई और परिवार ने पुलिस पर बुरी तरह मारने का आरोप लगाया. बाद में उसे छोड़ दिया गया.
करप्शन पर आई एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए जमाअत ने भारत को करप्ट देशों में उच्च स्थान प्राप्त करने पर चिंता जताई है और इसे देश के लिए शर्मिंदा करने वाला बताया है.
ज्ञात हो कि दुनियाभर में करप्शन को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें एशिया में भारत का पहला स्थान है.
जमाअत ने कहा, “इस्लाम करप्शन को बुरा समझता है और जमाते इस्लामी अपने कार्यकर्ताओं को किसी भी प्रकार के करप्शन से दूर रहने और अपने समाज में इसके लिए जागरूकता लाने के लिए हमेशा से प्रयासरत रही है.”
करप्शन को रोकने में जमाअत की भूमिका के सवाल पर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, “करप्शन को लेकर जब देशभर में अभियान ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ चल रहा था तो उसके प्रमुख चेहरे जैसे केजरीवाल, सिसोदिया, और किरण बेदी ने जमात के मुख्यालय में कार्यक्रम किये थे. हमारा उस आंदोलन को समर्थन और पूरा सहयोग था.”
उन्होंने कहा, जमाअत हमेशा से किसी भी सामाजिक बुराई को लेकर सभी के साथ मिलकर काम करने में सक्रीय रही है.