इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा के उस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) को लागू किया जाएगा.
नड्डा ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि कोरोना महामारी के कारण सीएए लागू करने में देरी हुई. नड्डा ने कहा- सभी लोगों को नागरिकता बिल का लाभ बहुत जल्द मिलेगा. हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं. यह बिल अब संसद से पास हो चुका है. कोविड महामारी के कारण लागू होने में देरी हुई. पर अब धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं. अब नागरिकता कानून पर काम शुरू हो गया है और नियम बनाए जा रहे हैं. यह जल्द ही लागू किया जाएगा.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया (WPI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० कासिम रसूल इलियास ने कहा, “चूंकि CAA भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है इसलिए जब यह कानून पिछले साल दिसंबर में लाया गया था तो पंजाब से केरल तक और असम से गुजरात तक सभी समुदायों के लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया गया था.”
उन्होंने कहा, “हालांकि कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में सीएए को चुनौती दी है और अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. अगर सरकार विवादास्पद कानून को लागू करने के साथ आगे बढ़ती है लोग निश्चित रूप से इसका विरोध करेंगे.”
डॉ० इलियास ने आगे कहा कि, “नड्डा के बयानों का मकसद बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना था. साथ ही इस मकसद पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव भी हैं.”
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत (एआईएमएमएम) के अध्यक्ष नावेद हामिद ने कहा, “अगर भाजपा को लगता है कि सीएए लागू होने पर विरोध नहीं होगा तो वे भ्रम में हैं. उन्हें बहुत आश्चर्य होगा क्योंकि लोग निश्चित रूप से इस असंवैधानिक कानून का विरोध करेंगे.”
यह कहते हुए कि, देश के लिए सीएए खुद कोरोना है, उन्होंने कहा कि, “भाजपा विभाजन पैदा करने में विशेषज्ञ है और ऐसे समय में जब कोविड अभी भी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है, सीएए पर जल्दबाजी में लिए गए फैसले से देश को कोई लाभ नहीं होगा.”
अहमदाबाद स्थित एनजीओ प्रशांत (ट्रैंक्विलिटी) का प्रतिनिधित्व करने वाले फादर सेड्रिक प्रकाश ने कहा कि, “सीएए की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि बाहर से आने वाले और भारत में रहने वाले लोगों को नागरिकता देने के लिए पहले से ही पर्याप्त प्रावधान हैं.”
उन्होंने कहा, “सीएए भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी है और देश के बाकी हिस्सों में लोगों को एक समुदाय के खिलाफ खड़ा करता है.”
यह कहते हुए कि सीएए गलत है और सरकार को भारत के लोगों की आवाज सुननी चाहिए, फादर प्रकाश ने कहा कि, “लाखों लोग सड़कों पर पूरे सीएए / एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और चाहते थे कि इसे वापस ले लिया जाए.”
मलिक मोतसिम खान, सचिव, ,जमात-ए-इस्लामी हिंद ने चेतावनी देते हुए कहा कि, “अगर सीएए लागू किया जाता है तो देश की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी.”
उन्होंने कहा, “बढ़ती बेरोज़गारी, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अदालतों द्वारा न्याय में देरी और कोविड के संकट जैसी अनगिनत समस्याओं को हल करने के बजाय, सरकार सीएए को लागू करने की घोषणा करके और अधिक समस्याएं पैदा करना चाहती है.”
कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल अजीज, जो एआईएमएमएम की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव भी हैं, ने कहा कि, “नड्डा के बयान राजनीति से प्रेरित और पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए दिए गए हैं.”
उन्होंने कहा कि, “भाजपा सीएए का इस्तेमाल उन हिंदुओं को आकर्षित करने के लिए करना चाहती है, जो बांग्लादेश से भारत आए हैं.” उन्होंने कहा कि, “वे बिहार चुनाव में सीएए के बारे में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वे ऐसा करते हैं तो नीतीश कुमार जो थोड़े बहुत मुस्लिम वोट की उम्मीद रखते हैं उन संभावित मुस्लिम मतदाताओं को खो देंगे.”