मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | दिल्ली में गुरुवार को ओखला के बटला हाउस इलाके में धोबी घाट पर स्थित लगभग 300 झुग्गियों को प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण के दायरे में आने के कारण गिरा दिया गया. रहने की कोई उचित व्यवस्था न होने के कारण सैंकड़ों परिवार संकट में हैं.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए वहां मौजूद पीड़ित परिवारों ने बताया कि धोबी घाट पर लगभग 800 से 1000 तक झुग्गियां हैं जबकि 300 के करीब झुग्गियों को डीडीए द्वारा गिराया गया है.
अधिकतर परिवार वहां दस से पंद्रह सालों से रह रहे हैं. सभी झुग्गियों को पहचान के लिए नंबर भी दिया गया था जो वहां रहने वाले परिवारों के आधार कार्ड पर दर्ज हैं.
झुग्गियों में रहने वाले परिवारों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें कार्रवाई से पहले कोई नोटिस नहीं दिया और अचानक पुलिस बल के साथ आकर घरों को गिरा दिया जिसके कारण उनके गृहस्थी के सभी सामान नष्ट हो गए.
हालांकि प्रशासन का कहना है कि उन्हें इस कार्रवाई की पूर्व सूचना दी गई थी.
कार्रवाई में प्रभावित परिवारों का कहना था कि उनसे वादा किया गया था कि जहाँ झुग्गी है वहीं मकान मिलेंगे. मगर हमारी जहाँ झुग्गियां थी उसे भी गिरा दिया गया और ये जगह हमसे खाली कराई जा रही है.
पास में ही प्रशासन द्वारा कुछ देर पहले ही लगाया गया एक बोर्ड दिखा जिस पर लिखा था कि ये डीडीए की ज़मीन है और यहाँ अवैध निर्माण या खनन करना मना है.
पीड़ित परिवारों ने इंडिया टुमारो से अपनी आप बीती साझा की है.
आरोप है कि प्रशासन ने ये कार्रवाई अचानक की है जिसके कारण झुग्गियों में रह रहे लोगों को काफी नुकसान हुआ है और कार्रवाई में कई लोगों के घायल होने की भी बात कही जा रही है.
प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध करने वाले लोगों को पुलिस थाने ले गई और शाम तक उन्हें थाने में रखा गया जिनमें एक बेवा महिला अनवरी भी थी.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए अररिया की रहने वाली अनवरी ने कहा, “जब हमारा घर गिराया जाने लगा तो हम इसका विरोध करने पहुंचे मगर महिला पुलिसकर्मियों ने मुझे पकड़ कर जीप में बैठाया और थाने ले गईं. जब शाम को हम घर लौटे तो सब कुछ ख़त्म हो गया था.”
मुरादाबाद के इकरार हुसैन का पैर और हाथ प्रशासन की इस कार्रवाई में बुरी तरह ज़ख्मी हो गया.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए इकरार हुसैन कहते हैं, “जब जेसीबी मशीन हमारे घरों को गिराने लगी तो मैं अपने ज़रूरी सामान निकालने के लिए अपने घर में गया मगर तब तक मेरे घर को गिरा दिया गया और जेसीबी से मेरा पैर ज़ख्मी हो गया और हाथ व सर में चोटें आईं.”
इकरार मज़दूरी का काम करते हैं और पिछले 25 वर्षों से इसी झुग्गी में रहते आए हैं. पैर ज़ख्मी हो जाने और छत छिन जाने के कारण रोज़ी और मकान को लेकर चिंतित हैं.
बिहार के फारबिसगंज के मोहम्मद असलम ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “हम मज़दूरी करते हैं और बहुत मुश्किल से अपनी गृहस्थी बनाए थे मगर एक झटके में ही तोड़ दिया गया. अगर हमें थोड़ा समय दिया जाता तो हम अपने ज़रूरी सामान तो बाहर निकाल लेते.”
अचानक हुई इस कार्रवाई के कारण सैकड़ों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं.
यहां रह रहे सैकड़ों परिवार सरकार से मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं मिली है.
प्रभावित परिवारों का कहना है कि अभी तक कोई भी सरकारी अधिकारी या नेता उनसे मिलने या उन्हें मदद का आश्वासन देने नहीं पहुंचा.
बटला हाउस और आस-पास के इलाके के लोग पीड़ितों के खाने की व्यवस्था कर रहे हैं.