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Tuesday, April 23, 2024
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पूर्व नौकरशाहों ने गृहमंत्री को पत्र लिखकर सुदर्शन टीवी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

पत्र में कहा गया है कि, सुदर्शन टीवी द्वारा किया गया दावा तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. DOPT के आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम IAS और IPS का केवल 3.46% हिस्सा बनते हैं. पूर्व नौकरशाहों के समूह ने यह भी कहा है कि आरोप निराधार हैं, क्योंकि ऐसे भी बैच थे जहां एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को आईएस के लिए नहीं चुना गया था.

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 2 सितंबर | पूर्व सिविल सर्वेन्ट्स के एक समूह ने गृह मंत्री अमित शाह और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक पत्र लिखकर सुदर्शन चैनल के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की मांग की है जिसमें IAS और IPS की भर्ती प्रक्रिया में साज़िश का आरोप लगाते हुए एक कार्यक्रम का ट्रेलर जारी किया गया था.

गृह मंत्री अमित शाह और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को सुदर्शन चैनल के खिलाफ ये पत्र 91 पूर्व सिविल सर्वेन्ट्स के एक समूह द्वारा लिखा गया है.

सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके ने 25 अगस्त को जारी अपने एक शो के  ट्रेलर में सिविल सेवा में चयनित होने वाले मुस्लिम छात्रों को ‘जामिया का जिहादी’ और ‘अफसरशाही में मुसलमानों का घुसपैठ’ कहा था.

सिविल सेवाओं में मुसलमानों के चयन को चव्हाणके द्वारा ‘सरकारी अफसरशाही में मुसलमानों का घुसपैठ’ कहे जाने पर आईपीएस एसोसिएशन, इंडियन पुलिस फाउंडेशन और अन्य कई संगठनों ने आपत्ती जताई थी और इसे साम्प्रदायिक पत्रकारिता कहा था.

हालाँकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस कार्यक्रम के टेलीकास्ट पर अंतरिम रोक लगा दी है.

दि हिन्दू अख़बार के मुताबिक, पूर्व नौकरशाहों ने पत्र में लिखा है, “हम महसूस करते हैं कि इस मामले में कठोर कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की आवश्यकता है. यह आरोप लगाना पूरी तरह से अपराध है कि ‘अफसरशाही में मुसलमानों के घुसपैठ की साज़िश’ और ‘यूपीएससी जिहाद’ या सिविल सर्विसेस जिहाद जैसे शब्दों का उपयोग करना दुर्भाग्यपूर्ण है. ये सांप्रदायिक और गैरजिम्मेदाराना बयान है और ऐसे भाषण एक पूरे समुदाय को बदनाम करते हैं और उनके प्रति घृणा पैदा करते हैं.”

पत्र में नौकरशाहों ने कहा है कि यदि इस कार्यक्रम के टेलीकास्ट की अनुमति दी जाती है, तो यह देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति केवल घृणा पैदा करेगा. पत्र में यह भी कहा गया है कि,  “इस प्रकार के ट्रेलर/ कार्यक्रम संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठा को धूमिल करेगा.”

पूर्व नौकरशाहों द्वारा पत्र में यह भी कहा गया है, “यूपीएससी की भर्ती प्रक्रियाओं को पूरी तरह से निष्पक्ष बनाया गया है और यह सर्वमान्य है कि बोर्ड किसी भी भाषा, क्षेत्र, धर्म या अन्य समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह के बिना कार्य करता है.”

दि हिन्दू अख़बार के अनुसार, पत्र में कहा गया है कि, सुदर्शन टीवी द्वारा किया गया दावा तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. DOPT के आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम IAS और IPS का केवल 3.46% हिस्सा बनते हैं. पूर्व नौकरशाहों के समूह ने यह भी कहा है कि आरोप निराधार हैं, क्योंकि ऐसे भी बैच थे जहां एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को आईएस के लिए नहीं चुना गया था.

पत्र की एक प्रति दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपराज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव को भी दी गई है.

इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा दायर एक याचिका पर सुदर्शन न्यूज चैनल के विवादित ट्रेलर के प्रसारण पर रोक लगा दी है.

याचिकाकर्ताओं ने सुदर्शन न्यूज पर “बिंदास बोल” नामक कार्यक्रम के प्रस्तावित प्रसारण को प्रतिबंधित करने की मांग की थी.

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