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Friday, March 29, 2024
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. कफील ख़ान को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया

जिला मजिस्ट्रेट, अलीगढ़ द्वारा एनएसए अधिनियम के तहत 13 फरवरी, 2020 को पारित किए गए हिरासत के आदेश और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा की गई पुष्टि को निरस्त कर दिया है. डॉ. कफील खान को हिरासत में लेने की अवधि के विस्तार को भी अवैध घोषित किया गया है.

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 1 सितंबर | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने NSA के तहत हिरासत में रखे गए डॉ. कफील खान को राहत देते हुए मंगलवार को सरकार को उन्हें तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट का यह आदेश डॉ. खान की मां द्वारा दायर हैबियस कॉरपस की याचिका में आया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और उनकी तुरंत रिहाई की मांग की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने डॉ. खान के खिलाफ एनएसए के आरोपों को रद्द कर दिया है.

लाइवलॉ.इन के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट, अलीगढ़ द्वारा एनएसए अधिनियम के तहत 13 फरवरी, 2020 को पारित किए गए हिरासत के आदेश और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा की गई पुष्टि को निरस्त कर दिया है. डॉ. कफील खान को हिरासत में लेने की अवधि के विस्तार को भी अवैध घोषित किया गया है.

ज्ञात हो कि डॉ० कफील ख़ान को पिछले साल AMU में CAA के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी में गिरफ्तार किया गया था. फरवरी में उन पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई थी.

डॉ० कफील पर अलीगढ़ में मुकदमा दर्ज हुआ था. तबसे वह मथुरा जेल में हैं. उनकी मां ने कोर्ट में हैबियस कॉरपस की याचिका दायर की जिसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी.

इस मामले में अंतिम सुनवाई 19 अगस्त को थी जिसमें जिसमें यूपी सरकार ने अपना पक्ष रखा था. इसमें अलीगढ़ के डीएम और मथुरा जेल अधीक्षक ने भी हलफनामा दायर किया था जिसके बाद कोर्ट ने 24 अगस्त को सुनवाई की तारिख तय किया था. फिर इस मामले में अगली तारिख 27 अगस्त दी गयी थी जिसमें सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

डॉ. कफील खान को 13 फरवरी, 2020 को हिरासत में लिया गया था. 6 मई को उनकी हिरासत अवधि 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी.

डॉ० कफील के भाई अदील अहमद ख़ान ने इंडिया टुमारो को बताया था कि, “11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि कोर्ट किसी की भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करता है.”

उन्होंने कहा, “इसी प्रकार जब हम 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट गए थे तो कोर्ट ने 18 मार्च को हाईकोर्ट जाने का आदेश देते हुए कहा था कि आप की वहां सुनवाई होगी लेकिन COVID19 के कारण सुनवाई नहीं हो सकी.”

अदील ख़ान ने बताया कि, “जब 5 महीने से हमें रिलीफ नहीं मिला तो हम लोग 30 जुलाई को दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने टाइम बाउंड आर्डर किया है कि डॉ० कफील की माँ नुज़हत परवीन की रिट पेटिशन का निपटारा करें.”

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