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Friday, March 29, 2024
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प्रशांत भूषण का अपने ट्वीट पर माफ़ी मांगने से इंकार, कहा ‘मेरा ट्वीट मेरे विश्वास का प्रतीक है’

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल सप्लीमेंट्री बयान में भूषण ने कहा, “मेरे ट्वीट मेरे विश्वास को दर्शाते हैं. ये विश्वास अभी भी मेरे पास है. एक नागरिक और इस कोर्ट के एक वफादार ऑफीसर के रूप में मेरे दायित्वों के अनुरूप हैं. इसलिए, इन मान्यताओं की अभिव्यक्ति के लिए माफी, सशर्त या बिना शर्त, मेरे विवेक और इस संस्था के खिलाफ होगी, जिसे मैं बहुत ऊंचा स्थान देता हूं.

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 24 अगस्त | वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया है जिसमें उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया गया है. उन्होंने अपने उन दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया है जिसके लिए उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अदालत के एक अधिकारी के रूप में, उनका यह कर्तव्य है कि वे “बोलें” जब उन्हें विश्वास हो कि न्यायिक संस्था अपने शानदार रिकॉर्ड से भटक रही है.

लाइवला.इन के अनुसार उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना ​​है कि सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों, प्रहरी संस्थाओं और वास्तव में संवैधानिक लोकतंत्र के संरक्षण के लिए आशा का अंतिम केंद्र है. इसे सही मायने में लोकतांत्रिक दुनिया में सबसे शक्तिशाली अदालत कहा गया है, और अक्सर दुनिया भर में अदालतों के लिए ये अनुकरणीय है.”

आज इन परेशानियों के दौर में, भारत के लोगों को इस अदालत में कानून और संविधान के शासन को सुनिश्चित करने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा कि,  “20 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ा जिसमें उन्हें अपने बयानों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया. मैं इस तरह कभी भी ऐसे मौके पर खड़ा नहीं हुआ जब मेरी ओर से किसी भी गलती या गलत काम के लिए माफी की पेशकश करने की बात आए.

प्रशांत ने कहा, “मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मैंने इस संस्था की सेवा की और इससे सामने कई महत्वपूर्ण सार्वजनिक हित कारणों को लाया. मैं इस अहसास के साथ रहता हूं. जितना मुझे इस संस्थान से मिला है, उससे अधिक मुझे इसे देने का अवसर मिला है. मैं सर्वोच्च न्यायालय की संस्था के लिए सर्वोच्च सम्मान रखता हूं.”

भूषण ने कहा कि, “मेरे ट्वीट मेरे विश्वास का प्रतीक हैं, ऐसा विश्वास जो अभी भी मेरे पास है.”

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल सप्लीमेंट्री बयान में भूषण ने कहा, “मेरे ट्वीट मेरे विश्वास को दर्शाते हैं. ये विश्वास अभी भी मेरे पास है. एक नागरिक और इस कोर्ट के एक वफादार ऑफीसर के रूप में मेरे दायित्वों के अनुरूप हैं. इसलिए, इन मान्यताओं की अभिव्यक्ति के लिए माफी, सशर्त या बिना शर्त, मेरे विवेक और इस संस्था के खिलाफ होगी, जिसे मैं बहुत ऊंचा स्थान देता हूं.

उन्होंने कहा कि, “इसलिए मैंने खुद को अच्छे विश्वास में व्यक्त किया, सर्वोच्च न्यायालय या किसी विशेष मुख्य न्यायाधीश को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक आलोचना की पेशकश करने के लिए ताकि अदालत संविधान के संरक्षक और लोगों के अधिकारों के प्रहरी के रूप में अपनी दीर्घकालिक भूमिका से किसी भी तरह भटक ना सके.”

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का वक्त दिया था। एटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि भूषण को दोषी ठहराना तो सही है लेकिन सजा देना उचित नहीं.

जस्टिस अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने कहा, रजिस्ट्रार के ऑर्डर के खिलाफ दायर की गई अपील खारिज की जाती है. मामले में दलीलों को सुना गया. सजा पर फैसला सुरक्षित है.

न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अटॉर्नी जेनरल से कहा कि भूषण के बयान से तो मामला और बिगड़ रहा है. बेंच ने एजी वेणुगोपाल से कहा, क्या मामला और बिगड़ रहा है या ये उनका बचाव है, आप फैसला करें.

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